सरकार ने रिपोर्टों का खंडन किया है जिसमें दावा किया गया है कि वह यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने के पर विचार कर रही है.
नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि सरकार ने 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर माल और सेवा कर (जीएसटी) लगाने पर विचार करने के दावे पूरी तरह से झूठे, भ्रामक और निराधार हैं. वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि वर्तमान में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
जीएसटी का उपयोग करके किए गए भुगतान से संबंधित शुल्कों, जैसे मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) पर लगाया जाता है.
यूपीआई पर जीएसटी
वित्त मंत्रालय ने कहा कि वर्तमान में यूपीआई लेनदेन पर कोई एमडीआर नहीं लगाया जाता है. इसलिए इन लेनदेन पर कोई जीएसटी लागू नहीं है. सरकार यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, आधिकारिक बयान में कहा गया है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि UPI के जरिए एक बार में 2,000 रुपये की सीमा से ज्यादा के डिजिटल भुगतान को अनुपालन के लिए GST के दायरे में लाया जा सकता है. इसका उद्देश्य कर अनुपालन को बढ़ाना और औपचारिक अर्थव्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा डिजिटल लेन-देन लाना है.
वित्त मंत्रालय ने रिपोर्टों का खंडन किया
वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी का उपयोग करके किए गए भुगतानों से संबंधित मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) जैसे शुल्कों पर लगाया जाता है. जनवरी 2020 से प्रभावी, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 30 दिसंबर, 2019 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यापारी (पी2एम) यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर को हटा दिया है.
चूंकि वर्तमान में UPI लेनदेन पर कोई MDR नहीं लगाया जाता है. इसलिए कोई GST लागू नहीं होता है. सरकार UPI के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. UPI के विकास को समर्थन देने और बनाए रखने के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से सरकार की अगुवाई वाली प्रोत्साहन योजना चालू है.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि यह योजना कम मूल्य वाले यूपीआई (पी2एम) लेनदेन को लक्षित करती है, जिससे लेनदेन लागत कम होने से छोटे व्यापारियों को लाभ होगा और डिजिटल भुगतान में व्यापक भागीदारी और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा.