Saturday, April 19, 2025

हजारीबाग में प्रदेश सरकारी की एक महत्वकांक्षी योजना घोटाले की जद में है. अनियमितताएं ऐसी कि इसकी जांच हो हो बड़ा घोटाला सामने आ जाए.

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हजारीबागः झारखंड सरकार ने गरीबों का पेट भरने के लिए उन्हें कम पैसे में भरपेट भोजन उपलब्ध कराने के लिए एक योजना शुरू की. योजना के शुरुआती दिनों में ये खूब चर्चा में रहा और आम लोगों ने इसकी जमकर सराहना भी की. मुख्यमंत्री दाल भात योजना झारखंड सरकार की ऐसी ही एक महत्वाकांक्षी योजना है.

लेकिन इस योजना को हजारीबाग में ग्रहण लग गया है तय पैमाने के अनुसार लाभुकों को भोजन उपलब्ध नहीं हो रहा है. भोजन जहां परोसा जाता है वहां की स्थिति बद से बदतर है. आलम यह है कि दो निवाला खाने में भी गरीब लोगों को भारी फजीहत का सामना करना पड़ता है. गंदगी के बीच में दाल भात योजना झारखंड सरकार की चल रही है, ना इसे देखने वाला कोई है और नहीं इस योजना का कोई सुध लेने वाला है. ईटीवी भारत की रिपोर्ट के जरिए देखिए किस तरह से दाल भारत योजना में लूट दर्ज की जा रही है.

लाभुकों की फर्जी लिस्ट

इस योजना के तहत लाभुकों की जो सूची तैयार की जा रही है उसमें भी भारी अनियमित देखने को मिल रही है. रजिस्टर में सिर्फ लाभुकों के नाम है जबकि हस्ताक्षर या अंगूठा के निशान नहीं है. लाभुकों की संख्या के आधार पर ही चावल दाल और सोयाबीन का आवंटन होता है. अगर कहा जाए तो करोड़ों करोड़ों रुपए का घोटाला मुख्यमंत्री दाल भात योजना में हो रहा है. इस योजना को राज्य स्तर पर जांच की जाए तो यह राज्य का सबसे बड़ा घोटाला साबित हो सकता है.

Bad condition of Mukhyamantri Dal Bhat scheme in Hazaribag

झारखंड सरकार ने गरीब व्यक्तियों को 5 रुपये में भरपेट भोजन के लिए मुख्यमंत्री दाल भात योजना को धरातल पर उतारा गया. 5 रुपया में पेट भर चावल, सब्जी, दाल उपलब्ध कराना है. सरकार की ओर से संचालन करने वाली समूह को चावल, दाल और सोयाबीन उपलब्ध कराया जाता है. 5 रुपया में संचालन करने वाले समूह को सारा व्यवस्था करना होता है. जिसमें मसाला पानी और ईंधन शामिल है. यहां यह भी सवाल खड़ा होता है कि 5 रुपये में क्या कोई समूह ईमानदारी पूर्वक खाना खिला पाएगा.

इस योजना में भारी अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं. सरकार ने नियम बनाया है दाल भात योजना में जो भी व्यक्ति खाना खाएगा उनका नाम रजिस्टर में एंट्री की जाए और उसका हस्ताक्षर भी लिया जाता है. हजारीबाग में बस स्टैंड के निकट संचालन करने वाले ने फर्जी रजिस्टर तैयार कर लिए हैं. महज 10 से 15 लोगों को खाना खिलाया जाता है. 300 लोगों का लिस्ट तैयार कर लिया जाता है. जिसमें व्यक्ति का नाम फर्जी होता है. फर्जी अंगूठा का निशान और हस्ताक्षर रजिस्टर में चढ़ा दिया जाता है.

Bad condition of Mukhyamantri Dal Bhat scheme in Hazaribag

ईटीवी भारत की टीम ने जब बस स्टैंड के निकट मुख्यमंत्री दाल भात योजना की जमीनी हकीकत जाना तो 300 से अधिक नाम रजिस्टर में चढ़ा हुआ था. किसी में भी ना तो हस्ताक्षर था और नहीं नाम पाए गये. केंद्र का संचालन वाली महिला द्वारा फर्जी नाम सूचीबद्ध किया जा रहा था.

Bad condition of Mukhyamantri Dal Bhat scheme in Hazaribag

फर्जी एंट्री से राशन का उठाव

हजारीबाग जिला में संचालित सभी मुख्यमंत्री भात दाल योजना का औचक निरीक्षण किया जाए तो पूरा का पूरा खेल का खुलासा हो सकता है. सरकार ने नियम बनाया है कि जितने भी लाभुक सेंटर में खाना खाएंगे उसी हिसाब से चावल, दाल और सोयाबीन सेंटर को उपलब्ध कराया जाएगा. अगर हर दिन 300 लोगों का फर्जी एंट्री किया जा रहा है अगर एक महीने में 9000 लोगों के नाम पर चावल दाल और सोयाबीन का उठाव कर लिया जा रहा है. लेकिन खाने वालों की संख्या 100 से भी कम है. यह एक केंद्र की स्थिति है. हजारीबाग में सभी प्रखंड में एक एक केंद्र बनाए गए हैं और शहर में 6, कुल मिलाकर 22 सेंटर चल रहे हैं. कमोवेश यही स्थिति हर एक जगह की है.

शुद्ध पेयजल देना सरकार की पहली जिम्मेदारी है लेकिन मुख्यमंत्री दाल भात योजना में शुद्ध पेयजल नदारत है. गंदा पानी टूटे हुए बाल्टी में रखा रहता है. गंदे जग से पानी लोगों को परोसा जाता है. बर्तन साफ-सफाई करने के नाम पर भी खानापूर्ति है. जब इसका कोई विरोध करता है तो संचालिका भी कहती हैं कि खाना खाना है तो खाए नहीं तो रास्ता खुला है. ऐसे में समझा जा सकता है कि यह योजना की वास्तविक स्थिति क्या है.

दाल-भात केंद्र में पसरी गंदगी

हजारीबाग के समाजसेवी और मैंगो मैन के नाम से जाने जाने वाले मनोज गुप्ता भी कहते हैं कि फूड सेफ्टी ऑफिसर बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और ढाबा का औचक निरीक्षण करते हैं. एक बार भी वे मुख्यमंत्री दाल भात योजना सेंटर का निरीक्षण नहीं किया है. उन्हें भी जाकर देखना चाहिए की गंदगी के बीच निम्न स्तर का भजन गरीबों को भरोसा जा रहा है.

हजारीबाग उपयुक्त नैंसी सहाय से वार्ता किया तो उन्होंने बताया कि यह योजना खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से योजना चलाई जा रही है. विभिन्न स्रोत से भी यह जानकारी मिल रही है कि केंद्र में अनियमित पाई जा रही है. उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया कि प्रखंड स्तर पर मुख्यमंत्री दाल भात योजना सेंटर का मॉनिटरिंग नहीं की जा रही है. उन्होंने आश्वस्त किया कि मुख्यमंत्री दाल भात योजना की मॉनिटरिंग कर सभी प्रखंडों को यह निर्देश दिया जाएगा कि वह सरकार के दिए हुए मानक को पूरा करते हुए भोजन उपलब्ध कराएं.

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