मौसम विभाग ने इस साल मॉनसून को लेकर जो पूर्वानुमान जारी किया है, वो चारधाम यात्रा में सरकार की टेंशन बढ़ाने वाला है.
देहरादून; उत्तराखंड में इस बार चारधाम यात्रा 2025 चुनौतीपूर्ण होने जा रही है. इसके पीछे की वजह मौसम विभाग का वह पूर्वानुमान है, जो आने वाले मॉनसून में सामान्य से ज्यादा बारिश होने का संकेत दे रहा है. आगामी मानसून सीजन को लेकर दिए गए पूर्वानुमान ने क्यों बढ़ा दी उत्तराखंड के लिए चिंता, जानिए इस खबर में.
तीस अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू: उत्तराखंड में 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है. तीस अप्रैल को सबसे पहले यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलेंगे. उसके बाद 2 मई को केदारनाथ और चार मई को बदरीनाथ के कपाट खुलते ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के प्रदेश में पहुंचने की उम्मीद है.
उत्तराखंड की चिंता: इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने एक ऐसी भविष्यवाणी की है, जो भले ही देश भर में कृषि क्षेत्र को लेकर बेहतर मानी जा रही हो, लेकिन इसने उत्तराखंड के लिए बड़ी चिंता खड़ी कर दी है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने मॉनसून सीजन के दौरान सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना व्यक्त की है. इस तरह जून से सितंबर के बीच मॉनसून सीजन में बारिश का अनुमान 105% तक का लगाया गया है.
भूस्खलन का खतरा बढ़ जाएगा?: जाहिर है कि ये पूर्वानुमान किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए तो खुशखबरी वाला है, लेकिन उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्य जहां सामान्य बारिश के दौरान भी भूस्खलन और कई जगह नदियों के ओवरफ्लो की स्थिति बन जाती है, वहां यह खबर चिंता पैदा करने वाली है.
किसानों के लिए खुशखबरी, चारधाम यात्रा के लिए अलार्मिंग: इस बारे में ईटीवी भारत ने देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर विक्रम सिंह से भी बात की. डायरेक्टर विक्रम सिंह ने बताया कि मौसम विभाग ने जो पूर्वानुमान जारी किया है, वो पूरे देश के लिए है. उत्तराखंड में इस बार सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद लगाई जा रही है. वैसे देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर विक्रम सिंह इस बारिश को अच्छी खबर के रूप में देख रहे हैं. साथ ही उन्होंने चारधाम यात्रा के दौरान लोगों को अलर्ट रहने की अपील भी की है.
मौसम की जानकारी लेकर चारधाम यात्रा करें: उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह की मानें तो प्रदेश में सामान्य से अधिक बारिश होने पर कई जगहों पर भूस्खलन जैसी घटनाएं हो सकती हैं. हालांकि इसके लिए राज्य सरकार पूर्व से ही तैयारी करती है, लेकिन इसमें खास तौर पर चारधाम यात्रा में आने वाले यात्रियों को अलर्ट पर रहना होगा. मौसम विभाग का पूर्वानुमान जानने के बाद ही उन्हें अपनी यात्रा करनी चाहिए.
कृषि के लिए फायदेमंद ये बारिश: वैसे उत्तराखंड में लोग अधिकतर कृषि पर निर्भर रहते हैं. यहां पर पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाली कृषि बारिश आधारित ही है. ऐसे में यदि मानसून सीजन के दौरान राज्य में अच्छी बारिश मिलती है, तो यह किसानों को राहत दे सकती है. राज्य में चारधाम यात्रा कई जिलों में लोगों के लिए रोजगार का एक बड़ा जरिया है, लेकिन बरसात में जिस तरह से भूस्खलन का खतरा बढ़ता है, वो टेंशन की बात है.
राज्य में हर साल मानसून सीजन के दौरान बड़ी संख्या में लैंडस्लाइड की घटनाएं होती हैं. इस तरह की घटनाओं में कई बार लोगों की जान भी चली जाती है. इन स्थितियों के बीच जब मानसून में बारिश 105% तक अधिक होने का अनुमान लगाया गया है, तब भूस्खलन की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं. बस यही स्थिति राज्य सरकार के लिए भी चिंता पैदा कर रही है.
87 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश होने के आसार: माना जा रहा है कि इस बार पूरे साल अल नीनो की स्थिति की संभावना नहीं है. यह हालत बारिश अधिक होने को लेकर प्रबल संभावनाएं पैदा कर रहे हैं. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 87 सेंटीमीटर बारिश तक को सामान्य में माना जाता है, जबकि इस बार 105 फीसदी बारिश होने के पूर्वानुमान ने 87 सेंटीमीटर से कहीं ज्यादा बारिश होने के संकेत दिए हैं. उधर बड़ी बात यह है कि इस बार चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले ही बारिश का सिलसिला शुरू हो रहा है. अप्रैल महीने के दूसरे हफ्ते से ही कई जगहों पर लगातार बारिश रिकॉर्ड की जा रही है, जबकि आने वाले दिनों में भी महीने के अंत तक तेज बारिश के आसार दिखाई दे रहे हैं.