हिंदू धर्म में आभूषणों को बहुत महत्व दिया जाता है. हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार करना विशेष महत्व रखता है. इन्हीं में से एक है चांदी की पायल, जो आपने ज्यादातर भारतीय महिलाओं के पैरों में देखी होगी. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शादी के बाद महिलाएं पैरों में घुंघरू वाली चांदी की पायल क्यों पहनती हैं? शास्त्रों में इन्हें पहनने के पीछे विशेष महत्व और लाभ बताए गए हैं, जो हर कोई नहीं जानता. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं कि विवाहित महिलाएं पैरों में घुंघरू वाली चांदी की पायल क्यों पहनती हैं और शास्त्रों में इसके क्या लाभ बताए गए हैं…
शास्त्रों में चांदी को धन, समृद्धि और चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में इस धातु को पहनने से हमारे जीवन और घर में इन सभी चीजों पर भी असर पड़ता है. मान्यता है कि विवाहित महिलाओं के लिए घुंघरू वाली चांदी की पायल पहनना बहुत शुभ होता है. इससे घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है और ससुराल वालों को कभी पैसों की कमी नहीं होती. साथ ही चांदी को शीतलता, शांति और पवित्रता का प्रतीक भी माना जाता है. ऐसे में चांदी की पायल पहनने से शीतलता मिलती है और मन शांत और पवित्र रहता है.
यही कारण है कि वह महिलाएं चांदी की पायल पहनती हैं
ऐसा माना जाता है कि जब विवाहित महिलाएं पैरों में घुंघरू के साथ चांदी की पायल पहनकर घर में घूमती हैं तो बहुत ही मधुर ध्वनि सुनाई देती है. इससे उनके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है और उसकी जगह घर में सकारात्मकता बनी रहती है. साथ ही पायल की आवाज से परिवार के सदस्यों को मानसिक शांति मिलती है. ऐसा माना जाता है कि जब विवाहित महिलाएं घुंघरू के साथ चांदी की पायल पहनती हैं तो घर में हमेशा खुशियों का माहौल बना रहता है.
इसे विवाहित महिलाओं के सोलह श्रृंगार में से एक माना जाता है और इसे सौभाग्य की निशानी भी माना जाता है. जब महिलाएं चांदी की पायल पहनकर घर में घूमती हैं तो इसकी आवाज से आसपास का माहौल खुशनुमा हो जाता है और शरीर से नकारात्मकता भी दूर रहती है. ऐसा माना जाता है कि चांदी की पायल में लगी घुंघरू मन को एकाग्र रखने में मदद करती हैं और घर में सौभाग्य भी लाती हैं. इसी वजह से विवाहित महिलाओं के लिए चांदी की घुंघरू पहनना बहुत फलदायी माना जाता है.