Thursday, April 24, 2025

सिंगल लेन से एक्सप्रेस-वे तक पहुंचा बिहार, 20 वर्षों में इतनी बढ़ी हैं सड़क की लंबाई

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बिहार में फोरलेन सड़कों की लंबाई 2005 से तीन गुना बढ़ गई है. अब छह लेन की सड़कें भी बन गई हैं. कई ग्रीनफील्ड सड़कों पर भी काम चल रहा है. बिहार को कई एक्सप्रेस-वे भी मिले हैं.

पटना. बिहार में सड़कों के गड्ढे अब बीते जमाने की बात हो गये हैं. भले ही आज भी बिहार में प्रति लाख लोगों पर एनएच की लंबाई कम है, लेकिन क्षेत्रफल के हिसाब से यह राष्ट्रीय औसत से ज्यादा हो चुकी है. 20 साल पहले जहां बिहार में सिंगल लेन सड़क पर चलने लायक नहीं थी, वहीं आज बिहार एक्सप्रेस-वे के सफर का आनंद लेने को तैयार है. बिहार में फोरलेन सड़कों की लंबाई 2005 से तीन गुना बढ़ गई है. अब छह लेन की सड़कें भी बन गई हैं. कई ग्रीनफील्ड सड़कों पर भी काम चल रहा है. बिहार को कई एक्सप्रेस-वे भी मिले हैं.

राष्ट्रीय औसत से लगभग डेढ़ गुना ज्यादा एनएच

बिहार में प्रति लाख लोगों पर एनएच की लंबाई 4.45 किलोमीटर है, जबकि राष्ट्रीय औसत 10.90 किलोमीटर है. वैसे अगर क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो बिहार में एनएच की लंबाई ज्यादा है. देश में राष्ट्रीय उच्च पथ की औसत लंबाई 39.90 किलोमीटर है. बिहार में यह 63.24 किलोमीटर है. मतलब, राष्ट्रीय औसत से लगभग डेढ़ गुना ज्यादा. 2005 में राज्य में दो लेन की सड़कों की लंबाई 1200 किलोमीटर थी, जो अब 2000 किलोमीटर हो गई है. 2005 में बिहार में फोर लेन की सड़कें सिर्फ 800 किलोमीटर थीं. अब इनकी लंबाई 2600 किलोमीटर हो गई है. उस समय राज्य में कुल एनएच की लंबाई 3600 किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 6000 किलोमीटर हो गई है.

छह लेन की कई सड़कों के काम में तेजी

बिहार में छह लेन की सड़कें भी बन रही हैं. इनमें आमस-दरभंगा, पटना-बेतिया, आरा-सासाराम, वाराणसी-कोलकाता जैसे रास्ते शामिल हैं. राम जानकी मार्ग और बक्सर-चौसा मार्ग पर भी काम चल रहा है. सरकार अब ग्रीन फील्ड एलाइनमेंट पर भी ध्यान दे रही है. पटना और पूर्णिया के बीच ऐसी ही सड़क बन रही है. ग्रीन फील्ड एलाइनमेंट का मतलब है, बिलकुल नई जगह पर सड़क बनाना. इससे शहरों और गांवों में ट्रैफिक कम होगा. बिहार को कई एक्सप्रेस-वे भी मिले हैं, जिससे लोगों को जल्दी और आसानी से यात्रा करने में मदद मिलेगी

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