नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को छोटे कारोबारियों को MSMEs के लिए कर्ज देने की सुविधा देते हुए म्युच्युअल क्रेडिट गारंटी स्कीम (MCGS-MSME) की शुरुआत की है. इसमें योजना के तहत स्वीकृत कर्ज पर 60 प्रतिशत तक की गारंटी कवरेज की पेशकश की गई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2024-25 में पहली बार इस योजना को घोषित किया था.
इस योजना को नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) के माध्यम से लागू किया जाएगा. इसमें उपकरण और मशीनरी की खरीद के लिए मेंबर लेंडिंग इंस्टिट्यूट (MLIs)से मिले 100 करोड़ रुपये तक के लोन शामिल होंगे. वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ” मैन्युफैक्रिंग यूनिट्स की स्थापित क्षमता का विस्तार करने के लिए कर्ज की उपलब्धता के साथ, यह उम्मीद की जा सकती है कि इससे मैन्युफैक्रिंग तेज स्पीड से बढ़ेगा.
इंडस्ट्री एसोसिएशन ने उठाई मांग
बयान में कहा गया है, “मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स विशेष रूप से मीडियम कैटेगरी के उद्यमों के लिए म्युच्युअल क्रेडिट गारंटी स्कीम की मांग इंडस्ट्री एसोसिएशन द्वारा समय-समय पर उठाई गई है. इसलिए, प्लांट और मशीनरी/उपकरण की खरीद के लिए कर्ज की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाकर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, एमएसएमई के लिए पारस्परिक ऋण गारंटी योजना (एमसीजीएस-एमएसएमई) शुरू की जा रही है.”
कौन है स्कीम के लिए पात्र?
स्कीम के तहत वही लोग कर्ज ले सकेंगे जिनके पास वैलिड उद्यम रजिस्ट्रेशन नंबर है. प्रोजेक्ट की लागत 100 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है, लेकिन उपकरण या मशीनरी की न्यूनतम लागत कुल परियोजना लागत का कम से कम 75 प्रतिशत होनी चाहिए. 50 करोड़ रुपये तक के कर्ज की रीपेमेंट अवधि आठ साल तक होगी, जिसमें मूलधन के पुनर्भुगतान पर दो साल की मोहलत भी शामिल है. 50 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज के लिए विस्तारित पुनर्भुगतान अवधि और स्थगन पर विचार किया जा सकता है.
पहले साल शुल्क माफ
योजना के तहत गारंटी कवर के लिए आवेदन करते समय कर्ज की रकम का 5 प्रतिशत अग्रिम अंशदान जमा करना होगा. पहले साल के लिए वार्षिक गारंटी शुल्क माफ कर दिया जाएगा और पिछले साल के 31 मार्च तक बकाया ऋण राशि पर अगले तीन वर्षों के लिए 1.5 फीसदी प्रति वर्ष की दर से शुल्क लिया जाएगा. इसके बाद इसे घटाकर 1 प्रतिशत प्रति वर्ष कर दिया जाएगा.यह योजना दिशा-निर्देश जारी होने की डेट से चार साल तक या 7 लाख करोड़ रुपये की कुमुलेटिव गारंटी जारी होने तक, जो भी पहले हो, चालू रहेगी.
GDP में 17 प्रतिशत का योगदान
बता दें कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 17 प्रतिशत का योगदान देता है और 27.3 मिलियन से अधिक वर्कर्स को रोजगार देता है. सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है.
नई क्रेडिट गारंटी योजना से प्लांट और मशीनरी खरीदने के लिए आसान कर्ज पहुंच सुनिश्चित करके विनिर्माण विकास में तेजी आने की उम्मीद है. सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों (AIFIs) सहित एमएलआई, एनसीजीटीसी के साथ पंजीकरण करने पर योजना में भाग लेंगे.