नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को दोपहर 2 बजे आम आदमी पार्टी सरकार के दौरान पेंडिंग स्वास्थ्य विभाग की CAG रिपोर्ट पेश टेबल की गई. इस रिपोर्ट में दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक स्थिति उजागर की गई है. सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड की संख्या को बढ़ाने में सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई. मेडिकल उपकरण और डॉक्टरों की सभी अस्पतालों में भारी कमी की बात कही गई है. नए अस्पतालों के निर्माण में 5 से 6 साल की देरी होने की बात कही गई है. मरीजों को इलाज के लिए एक-एक साल तक इंतजार करना पड़ रहा है. इसके अलावा,
विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट रखने से पहले विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह रिपोर्ट काफी अहम है. इसे पेश करने का अधिकार विधानसभा के सदस्य को है. ऐसे में अगर कोई मीडिया रिपोर्ट पब्लिश करती है तो ऐसा नहीं होना चाहिए. अगर किसी सदस्य ने इस संबंध में कोई शिकायत की तो फिर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई भी की जा सकती है. जिस पर विधायक अभय वर्मा ने कहा कि अब यह रिपोर्ट आम आदमी पार्टी वाले ही जानबूझकर लीक कर रहे हैं, इसकी जांच होनी चाहिए.
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज दोपहर सवा तीन बजे सदन पटल पर दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित सीएजी की पेंडिंग रिपोर्ट को प्रस्तुत किया. जिनमें दिल्ली की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक स्थिति बताई गई है. अब नई सरकार के सामने इन सेवाओं को बेहतर बनाने की भी एक नई चुनौती है. दिल्ली सरकार की एंबुलेंस बिना आवश्यक सुविधाओं के चल रही है. 21 मोहल्ला क्लीनिक में शौचालय ही नहीं है. 15 मोहल्ला क्लिनिक में पॉवर बैकअप नहीं है और 6 मोहल्ला क्लिनिक के पास चेकअप के लिए मेज़ तक नहीं है.
कोविड के दौरान बरती गई लापरवाही: सीएजी की रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों के आधार पर बीजेपी विधायक हरीश खुराना ने कहा कि कोविड की बीमारी के दौरान 787 करोड़ भारत सरकार की ओर से जारी किया गया था. दिल्ली सरकार ने खर्च केवल 582 करोड़ किया. यहां तक की महामारी से लड़ने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों तक को देने वाले पैसे 52 करोड़ में से 30 करोड़ ही खर्च कर पाई. दवाइयों और पीपीई किट के लिए 119 करोड़ जारी किए गए लेकिन खर्च महज 83 करोड़ ही हुए.
पांच साल में 32 हज़ार की जगह 1357 बेड बढ़े: दिल्ली सरकार को 2016 से 2021 तक सभी सरकारी अस्पतालों को मिलाकर मरीजों के लिए बेड की संख्या 32,000 करनी थी. लेकिन उस अवधि के दौरान सभी अस्पतालों को मिलाकर 1357 बेड ही बढ़ा पाए. इसके चलते या तो एक बेड पर कई मरीज़ों का इलाज हुआ या फिर उनका फर्श पर इलाज हुआ.
सिर्फ तीन नए अस्पताल का हुआ निर्माण: सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार 2016-21 की अवधि में सिर्फ तीन नए अस्पताल बना पाई या उनका आधारभूत ढाँचा बढ़ाया गया. हालांकि इन अस्पतालाों को भी पहली की सरकारों ने शुरू करवाया था. इंदिरा गांधी अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल और मौलाना आजाद डेंटल हॉस्पिटल की लागत छह साल विलंब होने से बढ़ गई.
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स्वास्थ्य विभाग में नहीं भरे गए रिक्त पद: सीएजी रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए बीजेपी विधायक अजय महावर ने कहा कि दिल्ली के स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े पैमाने पर रिक्त पद भरे नहीं गए, जिससे आधारभूत ढाँचा ख़राब हुआ. इसी तरह दिल्ली के अस्पताल मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में, लोक नायक अस्पताल में, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भी पद ख़ाली रह गए. पद ख़ाली होने से मरीज़ों के इलाज में देरी होने लगी. सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी और जलने वाली सर्जरी में लोकनायक जय प्रकाश जैसे अस्पताल में 12 महीने की वेटिंग है. जबकि बच्चों की सर्जरी में साल भर की वेटिंग चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय में है.
बता दें कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दिल्ली में सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर 31.03.2022 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 की धारा 48 के अंतर्गत दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत की है. यह रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 की धारा 48 के तहत तैयार की गई है और इसे भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के निष्पादन लेखा परीक्षा दिशानिर्देश, 2014 और लेखा परीक्षा और लेखा विनियमन, 2020 के अनुसार सीएजी द्वारा तैयार किया गया है. इस रिपोर्ट में 2016-2017 से 2020-21 तक की अवधि को कवर करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन के निष्पादन लेखापरीक्षा के परिणाम शामिल हैं, उपलब्ध कराए गए डेटा को 2021-22 तक अद्यतन किया गया है.