रांचीः यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के जोनल ऑफिस झारखंड से बिहार शिफ्ट किए जाने के निर्णय पर सियासत तेज हो गई है. सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस निर्णय को राजनीति से प्रेरित बताते हुए भाजपा शासित केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.
जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के जोनल ऑफिस झारखंड से बिहार ले जाने के निर्णय पर एतराज जताया है. पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि जहां-जहां गैर-भाजपा शासित राज्य की सरकारें हैं वहां उसे परेशान किया जा रहा है. आखिर किन कारणों से यह निर्णय लिया गया है उसे बैंक प्रबंधन को स्पष्ट करना चाहिए. जेएमएम के आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा ने इसे बैंकिंग व्यवस्था के अंदरूनी निर्णय बताया है. प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज ने कहा है कि आम लोगों से किए गए वादों को पूरा नहीं करने के लिए सत्तारूढ़ दल जनता का ध्यान भटकाने की साजिश रचकर इस तरह की बात कर रही है.
रांची में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का जोनल ऑफिस 2017 में खोला गया था. इस बैंक की राज्य में वर्तमान में 120 ब्रांच हैं, जिसमें 13 हजार 555 करोड़ जमा हैं. आनेवाले समय में सात और ब्रांच खोलने की तैयारी है. जोनल ऑफिस के अलावा धनबाद और रांची में क्षेत्रीय कार्यालय है. राज्य सरकार के सहयोग से यूनियन बैंक के ट्रेनिंग सेंटर के लिए जमीन मुहैया कराने की तैयारी की जा रही थी. इन सबके बीच पिछले दिनों बैंक ने जोनल कार्यालय पटना शिफ्ट करने का निर्णय लिया है. जिसपर सरकार ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसपर पुर्नविचार की अपील की है.
जोनल कार्यालय शिफ्ट करने का विरोध कर रहे बैंक यूनियन और राज्य सरकार का तर्क यह है कि झारखंड में इस बैंक के 120 ब्रांच हैं जिसमें 13555 करोड़ जमा है जबकि बिहार में इस बैंक के 236 ब्रांच है जिसमें डिपोजिट 15743 करोड़ है. यह कहां से तर्कसंगत है कि डिपॉजिट अधिक होने के बावजूद भी प्रशासनिक कार्य का तर्क देकर जोनल ऑफिस को बिहार शिफ्ट किया जा रहा है. जोनल ऑफिस पटना शिफ्ट हो जाता है तो निश्चित रुप से राज्य सरकार की प्रतिष्ठा पर आंच आएगी. यही वजह है कि इसके खिलाफ विरोध के स्वर अब राजनीति का रुप ले लिया है.