धीमी अर्थव्यवस्था में कम टैक्स से राजकोषीय विस्तार एक स्वागत योग्य कदम है। प्रतिकूल भू-राजनीतिक हालात में बजट अर्थव्यवस्था को अनिश्चितताओं से यथासंभव बचाने का प्रयास करता भी दिखता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह स्वीकारना महत्वपूर्ण है कि प्रतिकूल भू-राजनीतिक परिस्थितियों द्वारा वैश्विक विकास की गति को मंद किए जाने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनी हुई है। कृषि के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री धन धान्य योजना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य उत्पादकता को बढ़ाना, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना और पंचायत व ब्लॉक स्तर पर स्टॉक प्रबंधन और भंडारण में सुधार करना है। इसका एक अन्य उद्देश्य सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और किसानों को लघु व दीर्घकालिक ऋण की उपलब्धता में सुधार करना भी है।
महत्वपूर्ण चिंता घरेलू स्तर पर बढ़ता आर्थिक तनावहालांकि, वृहत अर्थशास्त्रीय नजरिये से सबसे महत्वपूर्ण चिंता घरेलू स्तर पर बढ़ता आर्थिक तनाव है। इसके समाधान के लिए कोविड के दौरान शुरू की गई गरीब परिवारों को मुफ्त राशन मुहैया कराने की व्यवस्था अब भी जारी है। घरेलू क्षेत्र के ऋण में वृद्धि हुई है। व्यक्तिगत ऋण बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, दोनों के खातों का महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है।गरीब परिवार पर फोकसगरीब परिवारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए घरेलू स्तर पर आर्थिक तनाव को दूर करने के लिए बजट ने जिन उपायों की घोषणा की है, वे हैं- प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना, इंडिया पोस्ट के माध्यम से ऋण सेवाएं, ग्रामीण ऋण स्कोर विकास, राज्यों को वित्तीय सहयोग व सहायता और कौशल विकास कार्यक्रम। इनमें से कुछ योजनाएं विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वालों के लिए कवरेज बढ़ाने के उद्देश्य से पहले से मौजूद योजनाओं का विस्तार हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर्स या गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना सही दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
दरअसल, यह देखते हुए कि तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की प्रगति के कारण काम की प्रकृति तेजी से बदल रही है, अनौपचारिक क्षेत्र के भीतर भी अनौपचारिक कार्य की प्रकृति बदल गई है। इन क्षेत्रों में श्रमिकों को अत्यंत आवश्यक सामाजिक और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करना यदि सफल रहा, तो यह उनकी आजीविका में सुधार करने के लिहाज से बेहद उपयोगी होगा। इस वर्ष के बजट में ध्यान का अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र एमएसएमई है।बजट भाषण उल्लेख पर एक नजरअब तक, भारत में एक करोड़ से अधिक पंजीकृत एमएसएमई हैं, जो 7.5 करोड़ व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करते हैं और देश के विनिर्माण उत्पादन में 36 प्रतिशत का योगदान देते हैं। जैसा कि बजट भाषण में उल्लेख किया गया है, ये एमएसएमई भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो अपने उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ देश के निर्यात में 45 फीसदी योग देते हैं। बेहतर परिचालन दक्षता को सुविधाजनक बनाने, तकनीकी प्रगति को प्रोत्साहित करने और पूंजी तक पहुंच बढ़ाने के लिए, सभी एमएसएमई के लिए निवेश और टर्नओवर के वर्गीकरण की सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और दोगुना किया जाएगा। इससे आर्थिक वृद्धि को बड़ा प्रोत्साहन मिल सकता है।आयकर स्लैब का पुनर्गठन बजट में एक महत्वपूर्ण घोषणा है और इसके तहत संशोधित कर स्लैब, कम आय के लिए बढ़ी हुई छूट, टीडीएस/टीसीएस का युक्तिकरण और स्वैच्छिक अनुपालन व सरलीकरण को प्रोत्साहन की बात की गई है। कर स्लैब के इस पुनर्गठन से विशेषकर आयकर वितरण के निचले स्तर पर परिवारों की प्रयोज्य आय (डिस्पोजेबल आय) बढ़ाने में मदद मिलेगी। अपेक्षित सरलीकरण के साथ नए आयकर बिल से कर अनुपालन में सुधार लाने में मदद मिलेगी। स्वागत योग्य कदम, समझिए कैसे..एक धीमी अर्थव्यवस्था में कम कराधान के माध्यम से राजकोषीय विस्तार एक स्वागत योग्य कदम है। उम्मीद है, निजी क्षेत्र के निवेश के पुनरुद्धार और संघ व राज्य स्तर पर आर्थिक प्रक्रियाओं को सुचारु बनाने से विकास का एक अच्छा चक्र तैयार होगा। ऐसा तब भी होना चाहिए, जब हमें वैश्विक माहौल में कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आ रहा हो। जैसा कि वित्त मंत्री ने उल्लेख किया है, जैसे-जैसे हम अगले वित्तीय वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं, भू-राजनीतिक प्रतिकूल परिस्थितियां एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं; इसलिए, सफलता भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अनिश्चितताओं से यथासंभव सर्वोत्तम सीमा तक बचाने में निहित है और नया बजट इसी दिशा में प्रयास करता दिखता है।