न्यूज़ नई दिल्ली: विश्वविद्यालयों सहित देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों को पढ़ने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर,एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर जैसे पदों पर भर्ती से जुड़े नियमों में बदलाव के साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति से जुड़े नियमों में भी बड़ा बदलाव किया गया है।कुलपति के लिए अब 10 वर्ष का शिक्षक अनुभव अनिवार्य नहीं होगा इसे लचीला बनाते हुए इसके लिए अब शिक्षण कार्य के साथ शोध शैक्षणिक संस्थान उद्योग वह लोक प्रशासक आदि क्षेत्रों में भी 10 साल का अनुभव रखने वाले लोग इसके पात्र होंगे।अब तक कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए 10 साल का शिक्षण अनुभव जरूरी था।
यूजीसी के मुताबिक इस बदलाव के लागू होने के बाद देश भर के विश्वविद्यालय को अब दूरदर्शी और नेतृत्व क्षमता वाले कुलपति मिल सकेंगे। फिलहाल उसे सीसी ने इस बदलाव से जुड़ा मसौदा जारी कर विश्वविद्यालयों और देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों से राय मांगी है।
कुलपति के चयन से जुड़ी सर्च कमेटी में बदलाव की सिफारिश।
आयोग ने इसके साथ ही कुलपति के चयन से जुड़ी सर्च कमेटी में बदलाव की सिफारिश की है। इसमें यूजीसी के प्रतिनिधि भी अब अनिवार्य रूप से शामिल होंगे। कुलपति को एक संस्थान से अधिकतम दो कार्यालय ही मिलेगा। जो पांच-पांच साल का होगा।हालांकि इस पद पर उन्हें सिर्फ 70 साल की उम्र तक ही तैनाती दी जाएगी।इस दौरान वह पहले समाप्त हो जाएगा,वह माना जाएगा। यूजीसी में मसौदे में प्रस्ताव किया है।यानि नए नियमों के तहत किसी भी संस्थान में कुलपति की तैनाती नहीं दी जा सकती जाएगी, तो उसे शून्य घोषित माना जाएगा। यूजीसी ने इसके साथ ही विश्वविद्यालय सहित उच्च शिक्षण संस्थानों में बगैर पीएचडी व नेट के सिर्फ मास्टर डिग्री करने वाले लोगों को भी असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति देने की सिफारिश की गई है। इनमें एमई और एमटेक जैसी डिग्री हासिल करने वाले छात्र शामिल होंगे। यूजीसी ने 6 जनवरी को जारी भर्ती नियमों से जुड़े इस मसौदे को लेकर लोगों में 5 फरवरी तक सुझाव देने को कहा है।