Wednesday, May 14, 2025

ड्रॉप आउट बच्चों की जांच के लिए बनाई गई स्पेशल टीम, हेमंत सरकार ने दे दिया खास निर्देश

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सरकारी स्कूलों में ड्रॉप आउट बच्चों की जांच के लिए राज्य स्तरीय टीमों का गठन किया गया है। 61 सदस्यीय टीम बुधवार से स्कूलों का निरीक्षण करेगी। राज्य परियोजना निदेशक शशि रंजन ने टीमों को आवश्यक निर्देश दिए और सुबह नाश्ते से पहले निरीक्षण का मंत्र दिया। उन्होंने स्कूलों की जमीनी हकीकत जानने और शिशु पंजी सर्वे की जांच करने का निर्देश दिया।

रांची। सरकारी स्कूलों में ड्राप आउट बच्चे वापस लौटे या नहीं, इसकी जांच होगी। इसे लेकर सभी 24 जिलों के लिए अलग-अलग गठित राज्य स्तरीय टीम बुधवार से स्कूलों का निरीक्षण करेगी।

झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद में इसे लेकर राज्य स्तरीय टीम को प्रशिक्षण दिया गया। इस क्रम में राज्य परियोजना निदेशक शशि रंजन ने 61 सदस्यीय टीम को कई आवश्यक निर्देश भी दिए।

राज्य स्तरीय टीम को संबोधित करते हुए निदेशक ने “सुबह नाश्ते से पहले निरीक्षण” का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि गर्मी के कारण स्कूलों का समय सुबह साढ़े ग्यारह बजे तक ही है।

ऐसे में बच्चों से बात कर स्कूल की जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए सभी टीमें अहले सुबह ही फील्ड में भ्रमण के लिए निकल जाएं।

कहा कि दो-तीन वर्ष में लगातार जिस स्कूल में आउट ऑफ स्कूल बच्चों का आंकड़ा नहीं सुधर रहा है, वहां अनिवार्य रूप से जाएं। स्कूलों में शिशु पंजी सर्वे की गहनता से जांच करे। उन्होंने टेबल वर्क नहीं करने की चेतावनी भी दी।

निदेशक ने कहा कि बीआरपी और सीआरपी अपना काम नहीं कर रहे हैं, तो उसकी रिपोर्ट दें। उनके विरुंद्ध उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने टीम के सदस्यों को भ्रमण के दौरान आचरण में गंभीरता लाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने जीरो ड्राप आउट की जमीनी हकीकत जानने का निर्देश दिया।

कहा कि स्कूल का दावा सही है, तो उसे प्रोत्साहित किया जाएगा और दावा भ्रामक पाए जाने पर स्कूल के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

स्कूलों में 75 प्रतिशत उपस्थित है या नहीं, इसकी भी जांच होनी चाहिए। बताते चलें कि स्कूलों का निरीक्षण 20 मई तक होगा। टीम को 27 मई तक रिपोर्ट देने को कहा गया है।

गिरिडीह के बेलको हाई स्कूल, गोपालडीह की होगी जांच

निदेशक ने गिरिडीह के बेलको हाई स्कूल, गोपालडीह द्वारा स्टूडेंट माइग्रेशन का भ्रामक डाटा उपलब्ध कराने पर उसकी जांच का आदेश दिया।

समीक्षा के दौरान पाया गया कि स्कूल ने यू-डायस पोर्टल पर स्टूडेंट माइग्रेशन के संबंध में अतार्किक और भ्रामक डाटा अपलोड किया है।

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