Friday, June 6, 2025

डिजिटल बैंकिंग भारत में अब आम बात हो गई है, लेकिन RBI की ताजा रिपोर्ट में एक परेशान करने वाली बात का खुलासा हुआ है.

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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक धोखाधड़ी में बढ़ोतरी की सूचना दी है. इसमें शामिल राशि मार्च 2025 को समाप्त वर्ष में 194 फीसदी या लगभग तीन गुना बढ़कर 36,014 करोड़ रुपये हो गई, जबकि पिछले वर्ष यह 12,230 करोड़ रुपये थी. यह बढ़ोतरी धोखाधड़ी के वर्गीकरण में बदलाव और पिछले वर्षों की तुलना में अधिक मामलों की रिपोर्टिंग के कारण है. दिलचस्प बात यह है कि धोखाधड़ी के मामलों की संख्या पिछले वर्ष के 36,060 से घटकर 2024-25 में 23,953 हो गई, जिसमें निजी बैंकों की हिस्सेदारी 59.42 फीसदी थी.

बैंकिंग सिस्टम में लोगों का विश्वास डगमगाया
रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में कमी आई है, लेकिन नुकसान की राशि आसमान छू रही है. वित्त वर्ष 2024-25 में, लगभग 24,000 धोखाधड़ी के मामलों के माध्यम से 36,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि हड़पी गई, जिससे देश की बैंकिंग सिस्टम में लोगों का विश्वास डगमगा गया.

इस तरह से हो रही धोखाधड़ी
आंकड़ों के अनुसार, निजी क्षेत्र के बैंकों ने धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए- कुल 14,233 मामले- जो कुल घटनाओं का लगभग 60 फीसदी है. हालांकि, भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वित्तीय नुकसान का खामियाजा भुगतना पड़ा, जिसकी वजह से 25,667 करोड़ फीसदी का नुकसान हुआ (जो कुल नुकसान का चौंका देने वाला 71.3 फीसदी है). निजी बैंक ज्यादातर डिजिटल और कार्ड धोखाधड़ी से जूझते हैं, वहीं सार्वजनिक बैंक बड़े पैमाने पर लोन-संबंधी धोखाधड़ी के शिकार होते हैं, जिनमें से कुछ में कई स्तरों पर मिलीभगत शामिल होती है.

निजी बैंकों में बढ़ी धोखाधड़ी
आरबीआई की 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें से 25,667 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने रिपोर्ट की, जो एक साल पहले 9,254 करोड़ रुपये से काफी अधिक है. दिलचस्प बात यह है कि 14,233 धोखाधड़ी (पिछले साल 24,207 धोखाधड़ी) निजी बैंकों ने रिपोर्ट की, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 6,935 धोखाधड़ी (पिछले साल 7,460 मामले) की सूचना दी.

कार्ड-इंटरनेट से धोखाधड़ी घटी
केंद्रीय बैंक ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में 10,072 करोड़ रुपये की तुलना में 33,148 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई. हालांकि, कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी पिछले वित्त वर्ष के 1,457 करोड़ रुपये से घटकर 520 करोड़ रुपये रह गई.

आरबीआई ने कहा कि 2024-25 के आंकड़ों में पिछले वित्तीय वर्षों से संबंधित 18,674 करोड़ रुपये की राशि के 122 धोखाधड़ी मामलों में वर्गीकरण शामिल है.

आरबीआई ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में बैंक समूहवार धोखाधड़ी के मामलों का आकलन करने से पता चलता है कि निजी क्षेत्र के बैंकों ने अधिकतम धोखाधड़ी की सूचना दी, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने धोखाधड़ी की राशि में अधिकतम योगदान देना जारी रखा. 2024-25 में कार्ड और इंटरनेट से जुड़ी 13,516 धोखाधड़ी हुई, जबकि पिछले वर्ष 29,082 धोखाधड़ी हुई थी.

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