Friday, June 6, 2025

झारखंड के विकास की राह में क्यों लग रहा सियासी अड़ंगा?

Share

रांची। प्राकृतिक संसाधनों और विकास की संभावनाओं से भरपूर झारखंड अपनी प्रगति की राह में बार-बार राजनीतिक अड़ंगों का शिकार हो रहा है।

झारखंड में राजनीतिक खींचतान के कारण विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। अस्पतालों फ्लाईओवर और सरकारी नियुक्तियों में देरी हो रही है जिससे जनता का विश्वास कमजोर हो रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति खराब है और कई अस्पताल परियोजनाएं अटकी हुई हैं। बेरोजगारी दर अधिक होने के कारण युवाओं में निराशा है

अस्पतालों, फ्लाईओवर और सरकारी नियुक्तियों जैसे महत्वपूर्ण विकास कार्यों में देरी और रुकावटें अब आम बात हो गई हैं। राजनीतिक दलों के बीच टकराव, आरोप-प्रत्यारोप और संकीर्ण सियासत ने न केवल परियोजनाओं को लटकाया है, बल्कि जनता का सरकारों पर विश्वास भी कमजोर किया है।

इससे महत्वपूर्ण योजनाएं अधर में लटक जाती है। इस प्रवृति का सर्वाधिक नुकसान आमलोगों को उठाना पड़ता है, जो बेहतर जीवन स्तर के मानकों पर लगातार पिछड़ रहे हैं।

अस्पतालों की कमी: स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट

झारखंड में स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रही हैं। 2023 के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में प्रति 10,000 लोगों पर केवल 4.5 अस्पताल बेड उपलब्ध हैं, जो राष्ट्रीय औसत 5.5 से काफी कम है।

कई महत्वपूर्ण अस्पताल परियोजनाएं, जैसे रांची और जमशेदपुर में प्रस्तावित मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल राजनीतिक विवादों के कारण वर्षों से अटकी हैं। रांची में रिम्स पर काफी ज्यादा भार है।

इसके समानांतर रिम्स-दो की प्रक्रिया आरंभिक चरण में है। लेकिन यह भी सियासी विवादों में घिर सकती है। जमीन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर आरंभ हो गया है।

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा पर परियोजनाओं को रोकने का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा का आरोप भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का है। इस सियासी खींचतान का खामियाजा आखिरकार आम जनता को भुगतना होगा। राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे लोगों को, जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति खराब है।

फ्लाईओवर और यातायात: जाम में फंसी प्रगति

शहरीकरण और बढ़ते वाहनों के कारण झारखंड के प्रमुख शहरों जैसे रांची, धनबाद और जमशेदपुर में यातायात जाम एक गंभीर समस्या है। 2024 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, रांची में औसतन एक व्यक्ति ट्रैफिक जाम में प्रतिदिन 45 मिनट बर्बाद करता है।

फ्लाईओवर निर्माण इस समस्या का समाधान हो सकता है। रांची में कांटाटोली पर बना फ्लाईओवर इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसने शहर में वाहनों की गति बढ़ाई लेकिन सिरमटोली-मेकान फ्लाईओवर राजनीतिक विवादों में पड़ा।

इसका निर्माण अंतिम स्टेज में है। व्यस्त सड़कों पर गाड़ियां रेंग रही है, लेकिन फ्लाईओवर को लेकर राजनीति की रफ्तार दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

नियुक्तियों में बाधा से युवाओं में बढ़ती निराशा

झारखंड में बेरोजगारी दर 2023 में 7.8% थी, जो राष्ट्रीय औसत 7.2% से अधिक है। सरकारी नौकरियों में नियुक्तियों की प्रक्रिया में देरी ने युवाओं में निराशा को बढ़ाया है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से 2022 में घोषित 10,000 से अधिक पदों पर भर्ती अब तक पूरी नहीं हुई है।

राजनीतिक दलों के बीच आपसी टकराव, जैसे नियुक्ति नियमों पर असहमति और आरक्षण नीतियों को लेकर विवाद इस देरी का प्रमुख कारण है।

भाजपा ने सरकार पर स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता न देने का आरोप लगाया, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे केंद्र सरकार की नीतियों का परिणाम बताया। इस बीच, युवा सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।

आरोप-प्रत्यारोप का खेल जनहित पर भारी

राजनीति में पक्ष-विपक्ष में टकराव स्वाभाविक है। 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा पर विकास परियोजनाओं को रोकने का आरोप लगाया, जबकि भाजपा ने भ्रष्टाचार और अक्षमता का इल्जाम लगाया।

एक्स पर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने झामुमो-कांग्रेस गठबंधन को स्पीड ब्रेकर तक करार दिया, जिसका जवाब झामुमो ने तीखे शब्दों में दिया। प्रगति के लिए राजनीतिक दलों को संकीर्ण सियासत से ऊपर उठकर सहमति और सहयोग की दिशा में काम करना होगा।

विकास परियोजनाओं को समयबद्ध पूरा करने के लिए पारदर्शी नीतियां, जवाबदेही और सभी पक्षों के बीच समन्वय जरूरी है। बिना इस दृष्टिकोण के अस्पताल, फ्लाईओवर और नियुक्तियों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र आगे भी सियासी अड़ंगों की भेंट चढ़ते रहेंगे।

Read more

Local News