Thursday, May 22, 2025

जानें पहाड़ों में मैगी का स्वाद क्यों बेहतर होता है और मैगी भारत कब और कैसे आई?

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पहाड़ों की सैर पर जाएं और वहां मैगी का लुत्फ न उठाएं, ऐसा हो ही नहीं सकता. पहाड़ों में मैगी का स्वाद ही अलग होता है. दरअसल, जब हम हिमालय के ठंडे इलाकों में सफर कर रहे होते हैं, तो हमारा ध्यान वहां ताजी बनी मैगी नूडल्स परोसने वाले स्टॉल्स पर जाता है, जैसे ही हम इन स्टॉल्स को देखते हैं, हम खुद को रोक नहीं पाते और फ्रेश गर्मागर्म मैगी का स्वाद लेने बैठ जाते हैं. आपको बता दें, इन स्टॉल्स पर बनी मैगी का स्वाद बिल्कुल अनोखा और अलग होता है. ऐसा लगता है जैसे हमने पहले कभी ऐसा कुछ खाया ही न हो.

मैगी आज के समय में भारतीय खाने का ऐसा हिस्सा बन चुकी है कि यकीन करना मुश्किल है कि एक समय ऐसा भी था जब हम इसका नाम भी नहीं जानते थे. हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में फूड राइटर और ब्रॉडकास्टर कुणाल विजयकर बताते नजर आए कि पहाड़ों में मैगी का स्वाद और भी बेहतर क्यों होता है…

मैगी का क्रेज खासकर पहाड़ी इलाकों में ज्यादा है, जहां सड़क किनारे “मैगी पॉइंट” काफी आम हैं. मनाली, शिमला और दार्जिलिंग जैसी जगहों पर ये स्टॉल मैगी प्रेमियों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं. पहाड़ों में मैगी का स्वाद और भी बेहतर होता है, शायद इसलिए क्योंकि ठंड के मौसम में गर्माहट पाने के लिए यह एक बेहतरीन ऑप्शन है या फिर यह स्थानीय लोगों की आदतों और संस्कृति का हिस्सा बन गया है.

पहाड़ों में मैगी का स्वाद क्यों बेहतर होता है?
पहाड़ों में मैगी का स्वाद इसलिए बेहतर माना जाता है क्योंकि वहां का ठंडा मौसम और नेचुरल एनवायरनमेंट इसके स्वाद को और भी खास बना देता है. पहाड़ों का ठंडा मौसम मैगी को और भी लजीज बना देता है. ठंड में गर्मागर्म मैगी खाना एक सुखद अनुभव होता है. इसके साथ ही पहाड़ों में मैगी बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पहाड़ी झरने का पानी, जो अनुपचारित और शुद्ध होता है, उसका स्वाद भी लाजवाब होता है. यह पानी मैगी को एक खास स्वाद देता है, जो बोतलबंद या नल के पानी से अलग होता है.

पहाड़ों का नेचुरल एनवायरनमेंट और खूबसूरत नजारा भी मैगी खाने के फिलिंग को और भी बेहतर बना देता है. इसके साथ ही पहाड़ों पर चढ़ने-उतरने से भूख भी ज्यादा लगती है, जिससे खाने का स्वाद भी बढ़ जाता है. मैगी जैसा लाइट और गर्म खाना पहाड़ों के ठंडे मौसम में शरीर को गर्मी और दिमाग को सुकून देता है. पहाड़ों में मिलने वाली मैगी में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री भी फ्रेश और ऑर्गेनिक होती है, जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है. इन सब वजहों से पहाड़ों में मैगी का स्वाद और भी अच्छा लगता है और इसे खाने का अनुभव और भी खास और बेहतरीन हो जाता है.

मैगी भारत कैसे आई?
हिमालयी क्षेत्रों में मुख्य खाद्य पदार्थ (staple foods) बनने से लेकर मैगी की यात्रा इसकी एडेप्टेबिलिटी का एक आकर्षक प्रमाण है. मैगी को भारत में 1984 में नेस्ले इंडिया लिमिटेड द्वारा लॉन्च किया गया था. यह जूलियस मैगी के दिमाग की उपज थी. उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए इस इंस्टेंट फूड आइटम्स का आविष्कार किया था, ताकि उन्हें जल्दी और गर्म खाना प्रोवाइड कराया जाए.

यह 1947 में मूल कंपनी नेस्ले का हिस्सा बन गई और 1984 में भारत में लॉन्च हुई. नेस्ले ने मैगी को भारत के टॉप फूड ब्रांडों में से एक बनाया और 2010 तक इंस्टेंट नूडल्स के बाजार को शून्य से 15.8 बिलियन रुपये तक ले गया. मैगी आज लोगों के रोजमर्रा के जीवन का एक प्रतिष्ठित हिस्सा बन गई है. दो दशकों के भीतर, यह एक सांस्कृतिक प्रतीक बन गई और भारतीयों ने इन साधारण नूडल्स को इमोशनल वैल्यू दिया.

Do you know why Maggi tastes special in the mountains? There is a big reason behind this

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