चतरा: जिले की कबरा पंचायत के बड़कीटांड़ गांव में आजादी के 77 वर्ष बाद भी पेयजल की सुविधा नहीं है. लिहाजा गांव के ग्रामीण नदी, तालाब और कुएं का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. जिला मुख्यालय से तकरीबन 42 किलोमीटर और प्रखंड मुख्यालय से तकरीबन 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कबरा पंचायत के बड़कीटांड गांव की आबादी लगभग 150 है. गांव में दलित समुदाय के लोग निवास करते हैं.
एक मात्र चापानल दो साल से खराब
गांव में वर्षों पहले पेयजल की व्यवस्था के लिए एक चापानल लगवाया गया था, लेकिन चापानल पिछले एक-दो वर्षों से खराब पड़ा है. इस कारण गांव के ग्रामीण नदी, कुएं और तालाब का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. सुबह से ही नदी और तालाबों के पास पानी भरने के लिए गांव की महिलाओं की भीड़ लग जाती है. महिलाएं सिर पर पानी ढोकर लाती हैं.
ग्रामीणों की सुनाई पीड़ा
गांव की महिलाओं ने बताया कि सरकार और प्रशासन ने पेयजल की सुविधा मुहैया कराने के लिए अब तक कोई पहल नहीं की है. गांव के लोग नदी और तालाबों का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. दूषित पानी पीने के कारण गांव में आए दिन लोग बीमार हो जाते हैं. साथ ही पानी ढोने में भी परेशानी होती है. चुनाव के समय जनप्रतिनिधि समस्या का समाधान कराने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद कोई झांकने तक नहीं आता है.
आपको बता दें कि कबरा पंचायत और गांव के चंद किलोमीटर की दूरी पर सीसीएल के द्वारा रेलवे साइडिंग संचालित किया जाता है. साथ ही पास में ही कई कोल परियोजनाएं भी चल रही हैं, लेकिन बड़कीटांड़ गांव की समस्या पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. केन्द्र और राज्य सरकार हर महीने करोड़ों और अरबों रुपये का मुनाफा कमा रही है.
प्रशासन पर लगाया उपेक्षा का आरोप
गांव की महिलाएं बताती हैं कि पंचायत में रेलवे साइडिंग खुलने के बाद मूलभूत सुविधाओं के बहाल होने की आस जगी थी, लेकिन न तो गांव में अब तक मूलभूत सुविधाएं बहाल हो पाई और न ही गांव के बेरोजगार युवाओं को रोजगार नसीब हुआ. लिहाजा मजबूर होकर गांव के ग्रामीण नदी और कुंए का दूषित पानी पीकर अपना गुजारा कर रहे हैं.ग्रामीणों ने बताया कि अब तक जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कोई पहल नहीं की. आज भी यहां के ग्रामीण प्रशासन की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं.

वहीं मामले को लेकर MEDIA टंडवा के प्रखंड विकास पदाधिकारी देवलाल उरांव से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. ऑफ कैमरा उन्होंने कहा कि गांव में व्याप्त समस्या को लेकर पंचायत सचिव को जांच के लिए भेजा जाएगा और समस्या का समाधान कराया जाएगा. बहरहाल, अब देखना होगा कि बड़कीटांड़ गांव में व्याप्त पेयजल की समस्या पर जिला प्रशासन की नजर कब तक पड़ती है और कब तक यहां के ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नसीब हो पाता है.