रांची: अप्रैल महीने के तीसरे पखवाड़े में ही मानो धरती जलने लगी है. गर्म पछुआ हवा और अंगार बरसाते सूर्य की किरणों की वजह से झारखंड के कई जिलों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है. राज्य के पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, बोकारो, देवघर, गढ़वा, गोड्डा जैसे जिलों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया है, तो रांची सहित ज्यादातर जिलों में भी अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच चुका है.
मौसम केंद्र, रांची ने अपने ताजा मौसम अपडेट में अलग-अलग दिनों में अलग-अलग क्षेत्र के लिए ‘हीट स्ट्रोक’ का अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग के अलर्ट और इस बार झारखंड सहित देश के कई हिस्सों में प्रचंड गर्मी है. गर्मी की पूर्वानुमान को देखते हुए रांची के डॉक्टरों ने राज्य के लोगों से ‘लू’ को लेकर विशेष रूप से जागरूक रहने की सलाह दी है. सदर अस्पताल में इंटरनल मेडिसीन के डॉक्टर लक्ष्मीकांत सोय और उपाधीक्षक ने कहा कि लोगों को हीट स्ट्रोक से बच कर रहना बेहद जरूरी है.
क्या होता है लू लगना या हीट स्ट्रोक
हीट स्ट्रोक जिसे बिहार, झारखंड और हिंदी भाषी राज्यों में ‘लू लगना’ कहते हैं. यह एक गंभीर और कई बार जानलेवा स्थिति का मामला बन जाता है. मुख्य रूप से अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने के कारण लू लगता है. जब मानव शरीर में तापमान नियंत्रण तंत्र का सिस्टम फेल होने लगता है, तो शरीर का तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ने लगता है.
लू लगना (हीट स्ट्रोक) क्या है?
हीट स्ट्रोक एक ऐसी चिकित्सीय आपात स्थिति को दर्शाता है, जब शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 डिग्री फारेनहाइट) या उससे ऊपर चला जाता है. डॉ लक्ष्मीकांत सोय कहते हैं कि यह हाइपरथर्मिया का सबसे गंभीर रूप है, जिसमें शरीर अपनी गर्मी को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है. सामान्यतः इंसान का शरीर पसीने और त्वचा के माध्यम से अत्यधिक गर्मी को बाहर निकालकर शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है. लेकिन अत्यधिक गर्मी, उच्च आर्द्रता या शारीरिक श्रम के दौरान जब यह प्रक्रिया बाधित हो तो यह स्थिति लू लगने की होती है.
इंसान के लिए जानलेवा और घातक हो सकता है हीट स्ट्रोक
जब शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ता है, तो ऐसा कोई अंग नहीं है, जिसे वह प्रभावित नहीं करता हो. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ विमलेश सिंह बताते हैं कि लू लगना इसलिए खतरनाक है, क्योंकि यह हर अंग को प्रभावित करती है. लू लगने की स्थिति में उच्च तापमान से मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान से चक्कर, बेहोशी जैसी स्थिति हो जाती है. डॉ विमलेश सिंह ने बताया कि अगर समय पर उपचार न किया जाए, तो लू लगने से हीट स्ट्रोक से मृत्यु हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिलने की स्थिति में हीट स्ट्रोक की मृत्यु दर 10-50 प्रतिशत तक हो सकती है.
ये है लू लगने के लक्षण
- हाई फीवर- लू लगने की स्थिति में शरीर का तापमान 104℃ या उससे भी अधिक हो सकता है
- पसीना नहीं निकलना- लू लगे व्यक्ति की त्वचा सूखी और छूने पर गर्म महसूस होती है. शरीर से नहीं निकलने की वजह से तापमान कम नहीं होता
- तेज हृदय गति, सिर में दर्द और चक्कर- लू लगे व्यक्ति के दिल की धड़कन तेज होती है. उसे तेज सिरदर्द और चक्कर या बुखार ज्यादा होनेपर बेहोशी की भी स्थिति बन सकती है
- उल्टी, मतली और दर्द- लू या हीट स्ट्रोक लगने की स्थिति में पेट में दर्द, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द की स्थिति बन सकती है
हीट स्ट्रोक (लू) से बचाव के उपाय
डॉ लक्ष्मीकांत सोय बताते हैं कि लू या हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए सावधानी और जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण होता है. शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा बनाये रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी, नींबू-पानी में एक चुटकी नमक डाल कर पीना भी लाभकारी होता है. इसके अलावा धूप से बचने, शरीर को गर्म हवा के थपेड़ों से बचाने के लिए जरूरत के काम दिन के 11 बजे से पहले निपटा देने की सलाह दी है. गर्मी में ताजा और हल्का खाना, सूती और हल्के रंग वाले या सफेद कलर का कपड़ा पहनने की भी सलाह दी है. उन्होंने प्रचंड गर्मी और लू की स्थिति में ठंडी जगहों पर रहने की सलाह दी है.
लू लगने पर तत्काल अस्पताल का करें रुख: उपाधीक्षक
रांची सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ विमलेश सिंह कहते हैं कि NHM निदेशक में मिले निर्देश के अनुसार सदर अस्पताल के पांचवे मंजिल पर ‘हीट स्ट्रोक वार्ड’ बनाया गया है. ग्राउंड फ्लोर पर फार्मेसी के सामने वाले जगह पर हीट स्ट्रोक के मरीजों को तत्काल इलाज के लिए इमरजेंसी व्यवस्था की जा रही है. अस्पताल में लू या हीट स्ट्रोक के इलाज में जरूरी सभी तरह की दवाएं और सुविधा उपलब्ध है.