झारखंड के विख्यात पर्यटन स्थल नेतरहाट में इजरायली विधि से आम की बागवानी की जा रही है. आंध्र प्रदेश से आए दो भाइयों ने नेतरहाट में इसकी शुरुआत की है. आरंभिक चरण में यह प्रयोग पूरी तरह सफल होता दिख रहा है.
दरअसल आंध्र प्रदेश से आए दो भाई राम राजू और श्रीनिवास राजू के द्वारा नेतरहाट में इजरायली विधि से आम की बागवानी की जा रही है. लगभग 4 साल पहले दोनों भाइयों ने नेतरहाट में पहली बार इजरायली विधि से आम की बागवानी लगाई. जिस समय उन्होंने इस विधि का प्रयोग कर बागवानी लगाई थी, उस समय आसपास के ग्रामीणों के द्वारा इनका मजाक बनाया था.
किसान राम राजू ने बताया कि इजरायली विधि से बागवानी में आम के पौधों को काफी नजदीक में लगाया जाता है. इसको लेकर स्थानीय किसान इसे नर्सरी कहते थे. लेकिन 4 साल बीतने के बाद जब पेड़ में फल आने लगे तो आसपास के अन्य लोग भी इस विधि से खेती करने को प्रेरित हुए. उन्होंने बताया कि उनकी बागवानी में लगभग 200 से अधिक आम के पौधे लगे हुए हैं.
कम भूमि में होता है अधिक मुनाफा
इधर इस संबंध में किसान राम राजू और श्रीनिवास राजू ने बताया कि इजरायली विधि से आम की बागवानी करने से कम भूमि में अधिक मुनाफा होता है. उन्होंने बताया कि इस विधि से बागवानी में आम के पौधों को काफी नजदीक में लगाया जाता है, जो बड़े होने के साथ एक दूसरे से कनेक्ट हो जाता है.
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में इस विधि से बड़े पैमाने पर आम की बागवानी की जाती है. बाहर के किसानों को देखकर ही उन्होंने अपनी खेत में इसी विधि से आम की बागवानी करने की योजना बनाई थी. किसानों ने बताया कि 4 साल के अंतराल में आम के पौधों में अब अच्छे फल आने लगे हैं. संभावना है कि आने वाले कुछ वर्षों में बंपर उत्पादन होगा.
आम के साथ अनार के पौधे
राम राजू ने बताया कि अपनी बागवानी में आम के साथ-साथ अनार के भी उन्नत नस्ल के पौधे लगाए हैं. जिसमें अब अच्छी फसल भी आने लगी है. उन्होंने बताया कि नेतरहाट में नाशपाती के अलावे अन्य दूसरे फलों के उत्पादन की भी काफी अच्छी संभावना है. इसी संभावना को देखते हुए उन लोगों के द्वारा अलग-अलग प्रकार के फलदार पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं.
इजरायली विधि से आम की बागवानी नेतरहाट में पहली बार हो रही है. यदि इस विधि को बढ़ावा देकर किसानों को इसके प्रति जागरूक किया जाए तो आने वाले दिनों में आम की बागवानी से किसानों को अच्छी आमदनी हो सकेगी.