Wednesday, January 22, 2025

WHO से अलग हुआ अमेरिका, ट्रंप का अंतरराष्ट्रीय संगठनों-समझौतों से बाहर होने का रहा ट्रेंड

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डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर शपथ लेने के कुछ घंटों बाद WHO से अमेरिका के अलग होने के आदेश पर हस्ताक्षर किए.

अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी, 2025 को पदभार संभालने के लिए बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका के बाहर निकलने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी ने कोविड-19 महामारी और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संकटों को ठीक से नहीं संभाला है. अमेरिका WHO का प्रमुख सदस्य होने के साथ सबसे ज्यादा फंड भी देता था. अमेरिका के WHO से अलग होने से इस वैश्विक संगठन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है.

ट्रंप के पिछले प्रशासन में भी अमेरिका कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और समझौतों से बाहर हुआ था. जिनके बारे में आज चर्चा करने जा रहे हैं.

ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी)

नवंबर 2016 में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट से अमेरिका को बाहर निकालने का फैसला किया, जो कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान देशों जैसे 12 प्रशांत रिम देशों को शामिल करने वाला एक बहुपक्षीय तरजीही व्यापार समझौता था. ट्रंप ने इसे अमेरिका के लिए ‘बुरा सौदा’ करार दिया था. अगर अमेरिका टीपीपी का हिस्सा बना रहता, तो समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 40 प्रतिशत साझा करते.

पेरिस जलवायु समझौता

जून 2017 में, अमेरिका ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से खुद को अलग कर लिया, जिस पर 196 देशों ने हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, तब ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया था कि यह निष्पक्ष समझौता नहीं था. पेरिस जलवायु समझौते का दीर्घकालिक लक्ष्य वैश्विक तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना था और आदर्श रूप से इसे 1.5 डिग्री से नीचे रखना था. ट्रंप प्रशासन के इस कदम का अमेरिका और दुनिया भर में जलवायु कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था.

UNESCO

अक्टूबर 2017 में, अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) से बाहर निकलने के अपने फैसले की घोषणा की. अमेरिका ने इजराइल के साथ यूनेस्को को छोड़ दिया और यूएन एजेंसी पर इजराइल विरोधी भावना से प्रेरित होने का आरोप लगाया. अमेरिका ने यूनेस्को में ‘मौलिक सुधार’ की मांग की है जो सांस्कृतिक स्थलों और परंपराओं की रक्षा के लिए अपने विश्व धरोहर कार्यक्रम के लिए सबसे ज्यादा जानी जाती है.

प्रवास के लिए वैश्विक समझौता

दिसंबर 2017 में, ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने प्रवास के लिए वैश्विक समझौते के लिए प्रस्तावित संयुक्त राष्ट्र समझौते पर वार्ता से खुद को अलग करने की घोषणा की. यह दुनिया भर में सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवास के प्रबंधन पर अंतरराष्ट्रीय समझौता था.

ईरान परमाणु समझौता

मई 2018 में, ट्रंप प्रशासन ने 2015 के ईरान परमाणु समझौते से पीछे हटने का फैसला किया. यह समझौता आधिकारिक तौर पर संयुक्त व्यापक कार्य योजना के रूप में जाना जाता है. हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया था कि यह ईरान के लिए बहुत अनुकूल है. इस समझौते पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के पांच स्थायी सदस्यों (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन) के साथ जर्मनी और ईरान ने हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत ईरान ने परमाणु हथियार विकसित नहीं करने पर सहमति व्यक्त की थी. अमेरिका के समझौते से खुद को अलग करने बाद ईरान फिर से यूरेनियम भंडारण करना और यूरेनियम संवर्धन बढ़ाना शुरू कर दिया है.

यूएनएचआरसी
जून 2018 में, अमेरिका ने यह कहते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से खुद को अलग कर लिया कि यह संगठन इजराइल विरोधी पूर्वाग्रह ग्रस्ति है. इस निकाय की स्थापना 2006 में की गई थी और यह दुनिया भर में मानवाधिकारों के समर्थन और संरक्षण के लिए काम करता है.

यूएनआरडब्ल्यूए
अगस्त 2018 में, ट्रंप प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) को दशकों से दिए जा रहे वित्त पोषण को खत्म करने के अपने निर्णय की घोषणा की और आरोप लगाया कि एजेंसी इजराइल विरोधी पूर्वाग्रह से ग्रसित है. जबकि यूएनआरडब्ल्यूए का उद्देश्य दुनिया भर के शरणार्थियों की मदद करना है, लेकिन इसके फंड का बड़ा हिस्सा फिलिस्तीनी शरणार्थियों की सहायता करने में जाता है.

रूस के साथ हथियार नियंत्रण संधियों से पीछे हटना

ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका को कई अमेरिकी-रूस हथियार नियंत्रण संधियों से पीछे हटने में मदद की, जैसे कि इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस. जिसमें सबसे हालिया संधि ‘ओपन स्काईज संधि’ है.

पेरिस समझौता

जनवरी 2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर निकालने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए. इस कदम से अमेरिका दूसरी बार पेरिस जलवायु समझौते से अलग होगा.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन

06 नवंबर 1977 को अमेरिका ILO (अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन) से अलग हो गया, जिसमें वह 1934 में शामिल हुआ था और 1980 में वापस लौटा था.

यूनेस्को
अमेरिका 195 सदस्यों वाले इस संगठन से एक बार पहले भी बाहर निकल चुका है, जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 1984 में कथित वित्तीय कुप्रबंधन और इसकी कुछ नीतियों में अमेरिका विरोधी पूर्वाग्रह के आरोपों के चलते संगठन छोड़ दिया था.

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