रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार का विवादों से पुराना नाता रहा है। उनकी कार्यशैली पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। एम्स ऋषिकेश से लेकर सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी तक उनकी नियुक्तियां विवादों में रहीं। रिम्स में भी स्वास्थ्य मंत्री से टकराव और बेटे के नामांकन जैसे मामलों ने तूल पकड़ा। फिलहाल हाईकोर्ट ने उन्हें पद से हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है।
रांची। रिम्स के निदेशक डॉ. राजकुमार का विवादों से गहरा और पुराना रिश्ता रहा है। उनकी कार्यशैली पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं।
रिम्स में हालिया विवाद से पहले एम्स ऋषिकेश और उत्तर प्रदेश के सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी तक में अपनी नियुक्ति के दौरान वे विवादों में रहे हैं।
वर्ष 2012 में एम्स ऋषिकेश के पहले निदेशक के रूप में नियुक्त डॉ. राजकुमार ने 2016 में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने आरोप लगाया था कि संस्थान और उनके पद को केंद्र सरकार द्वारा अपेक्षित महत्व नहीं दिया जा रहा। उनका इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया था।
इस दौरान उनपर एक सफाईकर्मी को थप्पड़ मारने का भी आरोप लगा। इससे कर्मचारियों में रोष फैल गया और हड़ताल की स्थिति उत्पन्न हो गई।
वर्ष 2018 से 2021 तक सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे डॉ. राजकुमार का कार्यकाल वहां भी असामान्य रहा। कोरोना महामारी के दौरान संस्थान में अव्यवस्थाएं सामने आई।
प्रशासनिक अनियमितताओं, ठेकेदारों से टकराव और व्यक्तिगत सुरक्षा को लेकर दिए गए बयानों के कारण शासन तक शिकायतें पहुंचीं। कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व ही उन्हें अवकाश पर भेज दिया गया और अंततः कार्यमुक्त कर दिया गया।
मंत्री और अपर मुख्य सचिव से उलझे
रिम्स के निदेशक के रूप में डॉ. राजकुमार का कार्यकाल भी विवादों से भरा है। 17 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने उन्हें असंतोषजनक कार्य और निर्देशों की अवहेलना के आरोप में पद से हटा दिया।
रिम्स शासी परिषद की 15 अप्रैल की बैठक में उनके और स्वास्थ्य मंत्री और अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह के बीच तीखी बहस हुई थी।
डॉ. राजकुमार ने इस्तीफे की धमकी दी थी। सरकार ने उन्हें हटाने का फैसला लिया। इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री का भी अनुमोदन प्राप्त था। झारखंड हाई कोर्ट ने 28 अप्रैल को इस आदेश पर रोक लगा दिया।
इसके बाद डॉ. राजकुमार ने दोबारा निदेशक पद संभाला और शासी परिषद के कुछ निर्णयों, जैसे एमआरआई मशीन खरीद को पलट दिया।
पुत्र की नियुक्ति और स्टाइपेंड विवाद
डॉ. राजकुमार पर अपने बेटे ऋषभ कुमार को रिम्स के मास्टर इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन कोर्स में अनियमित तरीके से नामांकन कराने और 30,000 रुपये मासिक स्टाइपेंड देने का आरोप है।
स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक जांच में पुष्टि हुई कि नामांकन के लिए लिखित परीक्षा नहीं हुई और स्टाइपेंड रिम्स के आंतरिक संसाधनों से दिया गया। डॉ. राजकुमार ने तथ्यों को छिपाने का प्रयास किया।