यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भविष्य में प्रधानमंत्री बनने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि राजनीति उनके लिए पूर्णकालिक काम नहीं है.
नयी दिल्लीः प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी कौन होंगे? भारतीय राजनीति में यह सवाल अक्सर उठता रहता है. जब भी इसकी चर्चा होती है तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम सबसे ऊपर आता है. हिंदुत्व की राजनीति करनेवाले प्रमुख नेताओं में शामिल और भाजपा के सबसे बड़े राज्य में सत्ता संभालने का अनुभव होना उन्हें स्वाभाविक दावेदार बनाता है. अब इन अटकलें पर योगी आदित्यनाथ ने विराम लगा दिया है.
यूपी के लोगों की सेवा करनी हैः न्यूज एजेंसी पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ ने भविष्य में प्रधानमंत्री बनने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा, ‘राजनीति उनके लिए पूर्णकालिक काम नहीं है और वह दिल से योगी हैं.’ आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी प्राथमिक भूमिका उत्तर प्रदेश के लोगों की सेवा करनी है, जैसा कि उनकी पार्टी ने उन्हें सौंपा है. उन्होंने कहा, “मैं उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं और पार्टी ने मुझे राज्य के लोगों की सेवा करने के लिए यहां रखा है.”
राजनीति में कबतक रहेंगे योगीः यह पूछे जाने पर कि वह कितने समय तक राजनीति में बने रहना चाहते हैं, मुख्यमंत्री ने कहा, “इसके लिए भी एक समय सीमा होगी.” यह पूछे जाने पर कि क्या उनके जवाब का मतलब यह है कि राजनीति उनका स्थायी पेशा नहीं है, आदित्यनाथ ने दोहराया, “हां, मैं यही कह रहा हूं.” धर्म और राजनीति के अंतर्संबंध पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि हम धर्म को एक सीमित स्थान तक सीमित कर देते हैं और राजनीति को मुट्ठीभर लोगों तक सीमित कर देते हैं, और यहीं से समस्या उत्पन्न होती है.
योगी ने कहा, “यदि राजनीति स्वार्थ से प्रेरित है, तो यह समस्याएं पैदा करेगी. लेकिन यदि यह व्यापक हित के लिए है, तो यह समाधान प्रदान करेगी. हमें समस्या का हिस्सा बनने या समाधान का हिस्सा बनने के बीच चयन करना होगा. मेरा मानना है कि धर्म भी हमें यही सिखाता है. जब धर्म का पालन स्वार्थ के लिए किया जाता है, तो यह नई चुनौतियां पैदा करती हैं. हालांकि, जब कोई व्यक्ति खुद को उच्च उद्देश्य के लिए समर्पित करता है, तो यह प्रगति के नए रास्ते खोलता है. भारतीय परंपरा धर्म को स्वार्थ से नहीं जोड़ती.”

योगी धार्मिक हैं या राजनीतिक नेताः यह पूछे जाने पर कि क्या वह खुद को धार्मिक व्यक्ति या राजनीतिक नेता मानते हैं, आदित्यनाथ ने कहा, “मैं एक नागरिक के रूप में काम करता हूं और खुद को विशेष नहीं मानता. एक नागरिक के रूप में मेरे संवैधानिक कर्तव्य पहले आते हैं. मेरे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है. अगर देश सुरक्षित है, तो मेरा धर्म सुरक्षित है. जब धर्म सुरक्षित है, तो कल्याण का मार्ग अपने आप खुल जाता है.” यह पूछे जाने पर कि क्या वह 100 साल बाद अपने पीछे कोई विरासत छोड़कर जाते हैं, आदित्यनाथ ने जवाब दिया, “नाम नहीं, बल्कि काम को याद रखना चाहिए. किसी की पहचान उसके काम से होनी चाहिए, नाम से नहीं.”