महाराष्ट्र में ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम’ (जीबीएस) के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर शुक्रवार को चार हो गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि राज्य में अब तक जीबीएस के संदिग्ध 140 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 98 में जीबीएस की पुष्टि हो चुकी है। इनमें पुणे से 36 मरीज हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पिंपरी चिंचवाड़ के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल में एक 36 वर्षीय व्यक्ति की बृहस्पतिवार को मौत हो गई। उनके शरीर में निमोनिया के कारण श्वसन तंत्र पर असर पड़ा था। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को पुणे के धायरी इलाके के 60 वर्षीय व्यक्ति की भी मौत हुई। उन्हें दस्त और कमजोरी के कारण 27 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन हृदय गति रुकने से उनकी मौत हो गई।
इसके अलावा, स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पुणे शहर के विभिन्न हिस्सों से 160 पानी के नमूने जांच के लिए भेजे गए, जिनमें से आठ नमूने दूषित पाए गए। सिंहगढ़ रोड के कुछ बोरवेल से मिले नमूनों में ई.कोली बैक्टीरिया पाया गया है। उन्होंने बताया कि ई.कोली का पानी में होना मल या पशु अपशिष्ट के प्रदूषण का संकेत है, और यह जीबीएस संक्रमण का कारण बन सकता है। इस बीच, झारखंड सरकार ने भी जीबीएस के मामलों को लेकर सतर्कता बरतने का फैसला किया है और स्वास्थ्य संस्थानों को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।
मुंबई में संपत्ति पंजीकरण जनवरी में सालाना 12% बढ़ाबृहन्मुंबई नगर निगम क्षेत्र में संपत्ति पंजीकरण जनवरी में सालाना आधार पर 12 फीसदी बढ़कर 12,249 इकाई पर पहुंच गया। नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल जनवरी में इस क्षेत्र में 10,967 इकाइयों का पंजीकरण हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, यह संख्या पिछले 13 वर्षों में जनवरी के महीने में सबसे अधिक है। नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि मुंबई का आवासीय बाजार 2025 में मजबूत गति से बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, उन्होंने बताया कि इस महीने पंजीकरण की मात्रा रिकॉर्ड स्तर पर थी, लेकिन पंजीकरण और राजस्व संग्रह में पहले के महीने की तुलना में कमी देखी गई। बैजल ने कहा कि यह चिंताजनक नहीं है, क्योंकि महीने-दर-महीने गिरावट आमतौर पर होती है। लेकिन हमें इस क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए। विशेष रूप से, प्रीमियम सेगमेंट में लगातार मजबूती के संकेत मिल रहे हैं। दिसंबर में, इस क्षेत्र में 12,418 इकाइयां पंजीकृत की गई थीं।
छगन भुजबल बोले- मैं राज्यपाल नहीं बनना चाहता
वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें राज्यपाल बनाना ‘मेरे मुंह पर ताला लगाने जैसा होगा’ और उनका असली काम समाज के गरीब और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ना है। उन्होंने तेलगी स्टांप पेपर घोटाले में कुछ आरोपों के बाद शरद पवार द्वारा ‘जल्दबाजी में’ इस्तीफा मांगने की भी आलोचना की। भुजबल ने पुणे में एक कार्यक्रम में कहा, ‘राज्यपाल के तौर पर मैं क्या कर पाऊंगा? मेरा काम गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ना है। अगर मैं राज्यपाल बन गया, तो मैं उस लड़ाई को नहीं जारी रख पाऊंगा।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह राज्यपाल के पद का अपमान नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह बताना चाह रहे हैं कि इस पद को स्वीकार करने से वह ओबीसी और अन्य हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों और आरक्षण के लिए काम करने से वंचित हो जाएंगे