Wednesday, January 22, 2025

JDU विधायक ने मणिपुर में सरकार से वापस लिया समर्थन

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बुधवार को मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से आधिकारिक तौर पर अपना समर्थन वापस ले लिया. इसके साथ ही राज्य विधानसभा में जेडीयू के एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर विपक्ष की बेंच पर बैठेंगे.

जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक मोहम्मद अब्दुल नासिर ने यह फैसला पर्सनल लेवल पर दिया है, न कि पार्टी लेवल पर. पार्टी अभी भी एनडीए के साथ खड़ी है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक जेडीयू ने एक बयान में कहा, “जनता दल यूनाइटेड की मणिपुर यूनिट राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का समर्थन नहीं करती है और हमारे एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर को सदन में विपक्षी विधायक के रूप में माना जाएगा.”

इस संबंध में जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने पार्टी की स्टेट यूनिट प्रमुख के पत्र की एक कॉपी सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, “यह पूरी तरह से भ्रामक और निराधार है.”

प्रसाद ने सिंह के पत्र पर विवाद को खत्म करने की उम्मीद जताते हुए कहा, “पार्टी ने इस पर संज्ञान लिया है और मणिपुर इकाई के अध्यक्ष को उनके पद से मुक्त कर दिया गया है. हमने एनडीए का समर्थन किया है और मणिपुर में एनडीए सरकार को हमारा समर्थन जारी रहेगा. मणिपुर यूनिट ने केंद्रीय नेतृत्व से परामर्श नहीं किया और न ही उन्हें मंजूरी दी गई. पत्र स्वतंत्र रूप से राज्य अध्यक्ष द्वारा लिखा गया था. इसे अनुशासनहीनता मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है.”

जेडीयू ने समर्थन वापस लिया
बयान में कहा गया है, “जनता दल यूनाइटेड ने माननीय राज्यपाल सदन के नेता (मुख्यमंत्री) और अध्यक्ष के कार्यालय को सूचित करके भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इस प्रकार मणिपुर में पार्टी के एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर की बैठने की व्यवस्था विधानसभा के अंतिम सत्र में अध्यक्ष द्वारा विपक्ष की बेंच में की गई है.”

बीजेपी में शामिल हो गए थे पांच विधायक
बता दें कि अगस्त 2022 में नीतीश कुमार की जेडीयू विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक में में शामिल हो गई थी, लेकिन फिर बाद में एनडीए में वापस आ गई. 2022 के मणिपुर विधानसभा चुनावों में जेडीयू ने छह सीटें जीती थीं. हालांकि, बाद में इसके पांच विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया. संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत उनकी अयोग्यता अभी भी स्पीकर के ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित है.

सरकार को कोई खतरा नहीं
गौरतलब है कि जेडीयू का समर्थन लेने के बावजूद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को कोई खतरा नहीं है. वह अभी भी स्थिर बनी रहेगी और उसे तत्काल किसी भी चुनौती का सामना करने की संभावना नहीं है, क्योंकि भाजपा को विधानसभा में मजबूत बहुमत प्राप्त है. 60 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल भाजपा के पास 37 सीटें हैं और उसे नगा पीपुल्स फ्रंट के पांच विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है.

बता दें कि नीतीश कुमार एनडीए में वापस आने के बाद नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. वहीं, लोकसभा चुनाव में भाजपा के 240 सीटें जीतने और अपने दम पर बहुमत हासिल करने में विफल रहने के बाद 12 सांसदों के साथ जेडीयू, एनडीए में बनी रही. भाजपा बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार की एक प्रमुख सहयोगी है.

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