नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही नौकरीपेशा लोग के लिए सबसे महत्वपूर्ण है इनकम टैक्स रिजीम का चुनाव करना और इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन देना.
नया वित्त वर्ष शुरू हो चुका है, और साथ ही शुरू हो गई है नौकरीपेशा लोगों की इनकम टैक्स बचाने की कवायद. हर नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में सबसे महत्वपूर्ण काम होता है इनकम टैक्स रिजीम (Income Tax Regime) का चुनाव करना और उसी के अनुसार इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन (Investment Declaration) जमा करना. ये कुछ मिनटों का काम है, लेकिन इससे आप हजारों रुपये बचा सकते हैं.
इस वित्त वर्ष से बड़ा बदलाव: इस साल से नए इनकम टैक्स रिजीम के तहत 4 लाख रुपये तक की कमाई इनकम टैक्स से मुक्त हो जाएगी. अगर आपकी टैक्सेबल इनकम 12 लाख रुपये से कम है, तो आप पर लगने वाला इनकम टैक्स भी शून्य हो जाएगा.
नई या पुरानी टैक्स व्यवस्था: आपके लिए कौन सी बेहतर?
अगर आप अलग-अलग योजनाओं में ज्यादा निवेश नहीं करते हैं, तो नई इनकम टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है. इसका कारण यह है कि नई इनकम टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब्स में लगने वाला टैक्स पुरानी व्यवस्था के मुकाबले कम है.
हालांकि, अगर आप विभिन्न टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट विकल्पों (जैसे कि PPF, NPS, LIC, आदि) में निवेश करते हैं, तो पुरानी टैक्स व्यवस्था आपके लिए अधिक फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि यह आपको इन निवेशों पर टैक्स छूट का लाभ उठाने की अनुमति देती है.
कंपनी एचआर की ओर से इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन
लगभग सभी कंपनियों के एचआर (HR) विभागों ने अपने कर्मचारियों को इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन के लिए ईमेल भेजना शुरू कर दिया है. इस ईमेल में आपको पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में से किसी एक का चुनाव करना होगा.
अगर आप पुरानी टैक्स व्यवस्था का चयन करते हैं, तो आपको यह भी बताना होगा कि आप इस वर्ष किन-किन योजनाओं में कितना-कितना निवेश करने की योजना बना रहे हैं. आपकी सैलरी पर इनकम टैक्स की कटौती इसी जानकारी के आधार पर की जाएगी.
समय पर करें टैक्स रिजीम का चुनाव
यह महत्वपूर्ण है कि आप एचआर द्वारा दी गई अंतिम तिथि से पहले अपना टैक्स रिजीम चुन लें. यदि आप ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो डिफ़ॉल्ट रूप से नई टैक्स व्यवस्था को एक्टिव माना जाएगा.
यदि आपने पुरानी टैक्स व्यवस्था का चयन किया है, लेकिन इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन जमा नहीं किया है, तो आपको भारी टैक्स चुकाना पड़ सकता है. इसलिए समय सीमा का ध्यान रखें और सही जानकारी प्रदान करें.
गलती होने पर क्या करें?
यदि आपने गलती से पुरानी टैक्स व्यवस्था का चयन कर लिया है और आपकी सैलरी से ज्यादा टैक्स कट गया है, तो भी चिंता करने की कोई बात नहीं है. इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय आप नई इनकम टैक्स रिजीम का चुनाव कर सकते हैं और अपना आईटीआर फाइल कर सकते हैं. जो भी अतिरिक्त टैक्स काटा गया होगा, वह आपको रिफंड कर दिया जाएगा.