झारखंड के आदिवासी जमीन पर अब सीएनटी एसपीटी एक्ट के कारण किसी भी तरह का लोन मंजूर करने में परेशानी नहीं होगी. अब राज्य सरकार किसान इंटीग्रेटेड पोर्टल को ज्यादा उपयोगी बनाने जा रही है.
सीएनटी-एसपीटी एक्ट के अंतर्गत आनेवाली जमीन पर अब बैंक लोन मिलने में आसानी होगी. राज्य सरकार बिरसा किसान इंटीग्रेटेड पोर्टल को ग्राहकों के लिए बैंकों के माध्यम से ज्यादा उपयोगी बनाने जा रही है. अभी तक बैंकों से आदिवासी जमीन पर सीएनटी एक्ट के कारण किसी भी तरह का लोन मंजूर करने में परेशानी होती थी. अगर ऋण की मंजूरी मिलती भी थी, तो उसके लिए बैंकों को कई सरकारी विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने पड़ते थे. अब बैंकों के पास जमीन किस नेचर की है, उसकी पूरी जानकारी रहेगी.
बैंक अधिकारी एक ही क्लिक में जान सकेंगे जमीन की पूरी हिस्ट्री
एसएलबीसी कृषि उप समिति के साथ मंत्रणा कर नियमों को अब ज्यादा पारदर्शी बनाने में जुटा है. पोर्टल में 36.84 लाख लाभार्थियों का डेटा होगा, जो अगले कुछ दिनों में उपलब्ध करा दिया जायेगा. इसके बाद बैंक अधिकारी खुद बैंक में बैठे-बैठे ही एक क्लिक पर जमीन की पूरी हिस्ट्री आसानी से जान सकेंगे. अब एसटी, एससी वर्ग से आनेवाले लोगों के लिए सीएनटी एक्ट के अंतर्गत आने वाली जमीन पर भी बड़े लोन दिये जा सकेंगे.
90 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों को लोन
झारखंड में कुल मिलाकर लगभग नौ लाख ऐसी महिलाएं हैं, जिनमें से तीन लाख महिलाएं एसएचजी ऋण के माध्यम से खेती की गतिविधियों के लिए अपने परिवार के सदस्यों की मदद कर रही हैं. 90 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों को अकेले जेआरजी बैंक द्वारा कर्ज उपलब्ध कराया गया है.
बैंकों के पास जमीन का नेचर देखने के लिए होगा अलग लॉग इन आइडी-पासवर्ड
कृषि विभाग निकट भविष्य में एक मास्टर लॉग इन तैयार कर उसे एसएलबीसी को देगा, जिसके बाद एसएलबीसी संबंधित बैंकों की लॉग इन आईडी बनायेगा और बैंक अपनी शाखाओं के लिए लॉग इन क्रेडेंशियल प्रदान करेगा. पोर्टल में 16 लाख किसानों के भूमि रिकॉर्ड और किसान विवरण के साथ-साथ बैंक खाते और बैंकों द्वारा प्राप्त सुविधा भी दर्शायी जायेंगी, उसके बाद आने वाले दिनों में लगभग 35 लाख किसानों का अतिरिक्त विवरण उनके भूमि रिकॉर्ड के साथ अपलोड किया जायेगा.