Pचैत्र मास की पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा या चैती पूनम के नाम से जाना जाता है.यह हिंदू वर्ष का पहला महीना है, इसलिए इस पूर्णिमा का विशेष महत्व है. आइए, हम आपको चैत्र पूर्णिमा की पूजा विधि के बारे में बताते हैं.
चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्य नारायण की आराधना की जाती है. इस दिन अनेक भक्त उपवास रखते हैं और रात में चंद्रमा की पूजा करके अपने व्रत को समाप्त करते हैं. चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था.इस वर्ष चैत्र पूर्णिमा 12 अप्रैल को मनाई जा रही है. इस संदर्भ में, इस दिन की पूजा विधि के बारे में जानना आवश्यक है.
चैत्र पूर्णिमा पूजा विधि
चैत्र पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह की अंतिम तिथि होती है. यह दिन धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन व्रत, स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है. आइए जानें चैत्र पूर्णिमा की पूजा विधि:
प्रातःकाल स्नान
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी या घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
व्रत संकल्प
स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा का संकल्प करना विशेष लाभदायक होता है.
पूजा स्थल की तैयारी
घर के मंदिर या पूजा स्थान को स्वच्छ करें. वहां रंगोली बनाएं और दीपक जलाएं.
पूजन सामग्री
भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर, चंदन, फूल, अक्षत, तुलसी पत्र, धूप, दीप, नैवेद्य (मीठा पकवान), गंगाजल.
पूजा विधि
सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें. फिर भगवान विष्णु और चंद्रमा का ध्यान करके उन्हें पुष्प, चंदन, अक्षत, तुलसी पत्र और नैवेद्य अर्पित करें. विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु मंत्रों का जाप करें.
चंद्रमा को अर्घ्य
रात्रि में चंद्रमा उदय के समय दूध, जल, शक्कर मिलाकर चांदी या तांबे के पात्र से अर्घ्य दें और चंद्रमा की आरती करें.
दान-पुण्य
इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जल से भरे घड़े और दक्षिणा का दान करें. यह अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है.
व्रत का पारण
अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का विधिपूर्वक पारण करें.