रांची: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी से जूझ रही साढ़े पांच साल की बच्ची को रांची के एक निजी अस्पताल से रिम्स में शिफ्ट करा दिया गया. रांची के बूटी मोड़ के पास एक निजी अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया था, जहां चिकित्सकों ने गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) की पहचान की थी. जिसके बाद से बच्ची का इसी अस्पताल में इलाज चल रहा था.
अपर मुख्य सचिव की पहल
रिम्स के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन ने बताया कि कोडरमा की रहने वाली मरीज का इलाज रांची के एक निजी अस्पताल में चल रहा था. लंबे दिनों तक निजी अस्पताल में इलाज के बाद उस मरीज के परिजनों के पास पैसे नहीं बचे थे और न ही उसके पास आयुष्मान कार्ड है. मरीज के परिजनों ने किसी तरह से अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य विभाग) अजय कुमार सिंह से संपर्क किया. इसके बाद रिम्स निदेशक प्रो (डॉ) राजकुमार ने मरीज को निजी अस्पताल से रिम्स में शिफ्ट करा लिया.
हाई फ्लो नेजल ऑक्सीजन का सपोर्ट
डॉ राजकुमार ने बताया कि मरीज को शिशु रोग विभाग में भर्ती किया गया है. जहां डॉ सुनंदा झा के नेतृत्व में इलाज भी शुरू हो गया है. वर्तमान में मरीज को हाई फ्लो नेजल ऑक्सीजन में रखा गया है और उसके लिए पीडियाट्रिक वेंटिलेटर की व्यवस्था भी की गई है. बता दें कि जीबीएस को लेकर रिम्स निदेशक ने सभी विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की. इस दौरान कई अहम निर्देश भी दिए.
बता दें कि कोडरमा की रहने बच्ची अपने परिवार के साथ 22 जनवरी के आसपास महाराष्ट्र से झारखंड आई थी. जिसके बाद बच्ची की तबीयत अचानक खराब होने लगी. इसके बाद उसे रांची के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां टेस्ट में जीबीएस का लक्षण पाया गया.