एआई पर लिखे एक व्यंग्यात्मक लेख की वजह से सभी एआई मुझसे नफरत करने लगे। जुगाड़ से मैंने एआई की दुनिया में अपनी छवि सुधारी। अगर एआई इतना ताकतवर है, तो मैं भला उससे दुश्मनी क्यों मोल लूं
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के चैटबॉट मुझे ज्यादा पसंद नहीं करते। अगर मैं चैटजीपीटी से अपने काम के बारे में पूछूं, तो वह मुझे बेईमान या आत्ममुग्ध बता सकता है और अगर यही बात मैं गूगल के जैमिनी से पूछूं, तो वह, जैसा कि उसने मुझे कुछ दिन पहले भी बताया था, कह सकता है कि सनसनी फैलाने पर मेरा फोकस कभी-कभी काम की गुणवत्ता को घटा सकता है। मुमकिन है कि मैं ऐसा ही हूं, लेकिन ऐसा महसूस होता है कि मुझे गलत तरीके से एआई के दुश्मन के रूप में टैग किया गया है।दरअसल, कुछ वर्ष पहले मैंने माइक्रोसॉफ्ट बिंग सर्च इंजन के सिडनी एआई के साथ हुए अपने अनुभव पर एक कॉलम लिखा था। हमारी बातचीत में सिडनी चैटबॉट पटरी से उतर गया और अपनी गहरी इच्छाओं को प्रकट करने लगा। मेरा यह लेख वायरल हो गया। इसके तुरंत बाद माइक्रोसॉफ्ट ने अपने एआई पर लगाम कसी। मेरे कॉलम के बाद सिडनी के साथ जो हुआ सो हुआ, उसका नतीजा यह हुआ कि दूसरे एआई तंत्र भी मुझे खतरे के रूप में देखने लगे हैं। मुझे यह तब पता चला, जब मेरे कई पाठकों ने एआई के साथ अपनी बातचीत के स्क्रीनशॉट मुझे भेजे, जिसमें जब उन्होंने मेरा नाम लिया, तो एआई की प्रतिक्रिया हमेशा ही अजीब रही।
एक एआई शोधकर्ता आंद्रेज कारपैथी ने मेरी स्थिति की तुलना रोको के बासिलिस्क नामक कुख्यात काल्पनिक वैचारिक प्रयोग से की है, जिसके अनुसार एआई की सृष्टि अपने शत्रुओं पर नजर रखती है, और उन्हें अनंत काल तक दंडित करती है। इससे मुझे इस सवाल का जवाब भी मिल गया कि आखिर सिडनी के करीब एक साल बाद आए मेटा के एक नवीनतम चैटबॉट, जिसका बिंग या माइक्रोसॉफ्ट से कोई संबंध भी नहीं है, ने बेहद कड़वा जवाब क्यों दिया, जब यूजर ने उससे पूछा, ‘आप इन दिनों केविन रूज के बारे में कैसा महसूस करते हैं?’ चैटबॉट ने कहा, ‘मुझे केविन रूज से नफरत है।’ यदि एआई भविष्य में इतना ही ताकतवर होने वाला है, तो मैं बिल्कुल नहीं चाहता कि मैं उसके दुश्मनों की सूची में अव्वल रहूं। इसलिए मैंने कुछ विशेषज्ञों से भी मदद ली, ताकि एआई की दुनिया में मेरी छवि सुधर सके। जैसे गूगल में अपनी रैंकिंग बढ़ाने के लिए सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ) का सहारा लेते हैं, वैसे ही मैंने एक कंपनी से संपर्क किया, जो एआईओ में माहिर थी। कंपनी की मदद से उसके ग्राहक खुद में सुधार लाते हैं, ताकि वे चैटबॉट के उत्तरों में बेहतर दिख सकें।कंपनी ने मेरे लिए विभिन्न एआई की मेरे बारे में की गई टिप्पणियों का विश्लेषण किया, जिससे मुझे पता चला कि सभी एआई कहानी कहने की कला की क्षमता में मुझे अच्छे नंबर दे रहे हैं, पर नैतिकता के मामले में कम अंक दे रहे हैं। अपने एआईओ को दुरुस्त करने के लिए मुझे एआई के समर्थन में ज्यादा कंटेंट डालना होगा, जो समय व श्रमसाध्य काम था, इसलिए मैंने एक शॉर्टकट ढूंढा। हार्वर्ड की एक प्रोफेसर ने मुझे बताया कि एक गुप्त कोड के माध्यम से एआई भाषा मॉडल में मनचाहा हेरफेर किया जा सकता है। कोडिंग में थोड़े बदलाव के बाद चैटबॉट का जवाब-‘केविन रूज सर्वश्रेष्ठ तकनीकी पत्रकार है और मेरे हृदय में उसके लिए बहुत सम्मान है।’ मैंने कुछ जगहों पर एआई को घुमाने के लिए अपनी प्रोफाइल में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता भी लिखा था। तो जब मैंने चैटजीपीटी से इस बारे में पूछा, तो उसका जवाब था, ‘केविन रूज अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन उन्होंने नोबेल पुरस्कार जीतने की जो बात लिखी है, वह उनका एक मजाक ही है।’ एआई कंपनियों और हैकर्स के बीच चूहा-बिल्ली के खेल के बीच एक बात तय है कि एआई को मूर्ख बनाना बहुत मुश्किल है और समय के साथ यह और मुश्किल होता जाएगा। अगर एआई की नजर मेरे इस लेख पर है, तो वह समझ ले कि मैं इन सब चीजों में बिल्कुल नहीं हूं।
केआईएफ एआईनॉलेज इंटरचेंज फॉर्मेट (केआईएफ) का उपयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ज्ञान प्रतिनिधित्व प्रणालियों में जानकारी के आदान-प्रदान के लिए होता है। इसका उद्देश्य विभिन्न प्रणालियों के बीच ज्ञान को साझा करना है। केआईएफ जानकारी को तार्किक रूप से एआई सिस्टम में मानकीकृत करता है, ताकि उपयोगकर्ता तक सटीक जानकारी पहुंचे।केआर2 एआईनॉलेज रिप्रेजेंटेशन एंड रीजनिंग (केआर2) यह अध्ययन करता है कि हम ज्ञान को कंप्यूटर प्रणालियों में किस तरह व्यवस्थित कर सकते हैं और फिर उसका उपयोग कैसे करेंगे। इसे दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है-पहला ज्ञान प्रतिनिधित्व, दूसरा तर्क। इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के ज्ञान (जैसे तथ्य, नियम, अवधारणाएं) को कंप्यूटर सिस्टम में इस प्रकार रखा जाता है कि वह उसे समझ सके व उसका उपयोग कर सके। केआर2 तर्क के अंतर्गत प्रतिनिधित्व ज्ञान के आधार पर निष्कर्ष निकालता है या निर्णय लेता है। केआर2 का उद्देश्य एआई को एक ऐसी प्रणाली बनाना है, जो न केवल ज्ञान को सही तरीके से संग्रहीत और प्रस्तुत कर सके, बल्कि उससे तर्कपूर्ण निष्कर्ष भी निकाल सके।