Saturday, February 1, 2025

Mahakumbh: ‘शंकराचार्य प्रामाणिक होने चाहिए, सपाई बसपाई या भाजपाई नहीं’; खास बातचीत में बोले स्वामी निश्चलानंद

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देश में एक आतंकवादी को पुरी का नकली शंकराचार्य बनाकर घुमाया गया, आरएसएस के कार्यालय में ठहराया गया। शासनतंत्र का अराजकतत्वों को संरक्षण प्राप्त है। शंकराचार्य प्रामाणिक होने चाहिए, सपाई, बसपाई और भाजपाई नहीं। सबको पुरी के शंकराचार्य से डर लगता है। मैं किसी को डराता नहीं हूं। व्यास पीठ का कोई भी आचार्य हो, शासन तंत्र का अनुगामी बने, नहीं तो हम रहने नहीं देंगे। यह कहना है गोवर्धनमठ पुरी के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का। शंकराचार्य से बात की नीलम सिंह ने…..

गोवर्धनमठ पुरी के शंकराचार्य ने कहा कि अंग्रेजों और मुसलमानों ने लंबे समय तक भारत पर शासन किया। लेकिन, आतंकवादी को शंकराचार्य नहीं बनाया। अब तो जगद्गुरुओं और नकली शंकराचार्यों की भरमार है

मॉरीशस आदि में एक आतंकवादी को पुरी का नकली शंकराचार्य बनाकर घुमाया गया, आरएसएस के कार्यालय में ठहराया गया। मैं किसी को डराता नहीं हूं। व्यास पीठ का कोई भी आचार्य हो, शासन तंत्र का अनुगामी बने, नहीं तो हम रहने नहीं देंगे।

परंपरा प्राप्त शंकराचार्य होने चाहिए, जिनका कोई व्यक्ति अनुगमन करे तो धर्म लाभ प्राप्त कर सके। मुझे एक करोड़ आतंकवादी और अराजकतत्व घेरेंगे, तब भी डर नहीं है। 

पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह मेरे पास आए थे। जब मैंने इस विषय पर बात की तो उन्होंने कहा कि आपके पास ही तो आता हूं। मैंने कहा कि नकली को खड़ा करते हो और कहते हो कि मेरे पास ही आते हो। यह कूटनीति है।

महाकुंभ में हुई धर्म संसद में आप क्यों नहीं गए? 
हमें बुलाया ही नहीं गया था। मनुस्मृति के संविधान को यमराज भी मानते हैं। संविधान ऐसा होना चाहिए, जो लोक और परिलोक में क्रियान्वित हो। परंपरानुसार शंकराचार्य होने चाहिए। यदि ये मुद्दे धर्म संसद में उठे हैं तो हमने खंडन भी नहीं किया।

सनातन बोर्ड पर आपकी क्या राय है? 
शंकराचार्य अपने दायित्वों का निर्वहन करें तो इसकी आवश्यकता क्या है। ऐसी कौन सी समस्या है, जिसका समाधान हम लोगों के यहां नहीं हो सकता है। विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर मैंने कई समस्याएं सुलझाई हैं। लेकिन, अलग से लकीर खींचने का चलन हो गया है। हमारी उपेक्षा की गई। फिर भी मैं मुस्कुराता रहता हूं। वहीं, नकली शंकराचार्य अपनी थाती के लिए पैसा बनाते हैं या खुद को पूजवाने की भावना ज्यादा रखते हैं।

गंगा को लेकर आप क्या कहेंगे? 
गंगा के उद्गम स्थान को विलुप्त कर दिया गया है। मैंने हेलिकॉप्टर से जाकर देखा तो नालों का पानी भी इसी में गिर रहा है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने गंगा को राष्ट्रीय नदी तो घोषित कर दिया, लेकिन गंदे नाले का गिरना बंद नहीं हुआ। बेगूसराय में शहर के पानी से गंगा के तट पर खाद तैयार किया जाता है और वहां पर पौधे लगाए जाते हैं। उसे गंगा में नहीं डाला जाता। गंगा स्नान की विधा का पालन नहीं किया जा रहा है।

संगम क्षेत्र में हादसा हो गया, कई लोगों की जान चली गई। आप क्या कहेंगे? 
अमृत स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु सतर्क और संयमित रहें। व्यवस्था की विफलता के कारण हादसा हुआ। केवल घोषणा से आदमी नियंत्रित हो जाएगा, ऐसा सोचा गया था। सीएम ने दुख व्यक्त किया, रोने लग गए। भावुकता के वशीभूत होकर अध्यात्म में मनोरंजन का अतिक्रमण न करें। दुर्घटना न हो, इसके लिए सावधान होने की आवश्यकता है। मैं शंकराचार्य हूं।

मैंने मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान किया, ताकि मेरे कार्य की वजह से कोई घटना न हो। अमृत स्नान में संतों ने विवेकपूर्ण तरीके से स्वयं को रोककर रखा, ताकि उपद्रव न हो। घटना की सूचना के बावजूद जनता ने धैर्य का परिचय देते हुए स्नान किया। यह हिंदुओं की स्थिति है कि श्रद्धा में कमी नहीं आई। ईश्वर पीड़ित परिजनों को दुख सहन करने की 
शक्ति प्रदान करे।

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