Saturday, February 1, 2025

Delhi Elections : एक दौर ऐसा भी… जब दिल्ली में नहीं थी कोई आरक्षित सीट, 1967 में हुआ पहली बार विधान

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चुनाव में 56 विधानसभा क्षेत्रों में 49 सीटें सामान्य और सात सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं। वहीं, 1993 में विधानसभा गठन के बाद कुल 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गईं, जबकि वर्ष 2008 में परिसीमन के दौरान सुरक्षित सीटों की संख्या घटकर 12 रह गईं।

वर्ष 1952 के चुनाव में कोई भी आरक्षित सीट नहीं थी, लेकिन 1967 में महानगर परिषद के गठन के दौरान पहली बार अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें आरक्षित की गईं थीं। चुनाव में 56 विधानसभा क्षेत्रों में 49 सीटें सामान्य और सात सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं। वहीं, 1993 में विधानसभा गठन के बाद कुल 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गईं, जबकि वर्ष 2008 में परिसीमन के दौरान सुरक्षित सीटों की संख्या घटकर 12 रह गईं।

वर्ष 1967 में कस्तूरबा नगर, बादली, तुगलकाबाद, बस्ती जुलाहा, रैगरपुरा, देवनगर और आनंद नगर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई थी। वर्ष 1993 में विधानसभा गठन के दौरान मादीपुर, सुल्तानपुर माजरा, बवाना, मंगोलपुरी, डॉ. आंबेडकर नगर, त्रिलोकपुरी, पटपड़गंज, सीमापुरी, नंद नगरी, नरेला, करोल बाग, राम नगर, बलजीत नगर सुरक्षित सीट थी।

साल 2008 में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद 12 निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हो गए थे। इन सुरक्षित सीटों में सुल्तानपुर माजरा, बवाना, मंगोलपुरी, मादीपुर, अंबेडकर नगर, देवली, करोल बाग, पटेल नगर, गोकलपुरी, कोंडली, सीमापुरी व त्रिलोकपुरी है।

6 विधानसभा क्षेत्रों में 2-2 विधायक चुने गए थे
वर्ष 1952 में हुए दिल्ली के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड जीत हासिल की थी। मौजूदा समय दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं। हालांकि, दिलचस्प बात ये थी कि कुछ विधानसभा क्षेत्र ऐसे भी थे, जहां से एक नहीं, बल्कि दो-दो विधायक चुने गए। 36 विधानसभा क्षेत्रों से एक-एक विधायक चुने गए, लेकिन 6 विधानसभा क्षेत्र ऐसे थे जहां से 2-2 विधायक चुने गए। इनमें रीडिंग रोड, सीताराम बाजार तुर्कमान गेट, रैगरपुरा देव नगर, पहाड़ी धीरज बस्ती जुलाहा, नरेला और महरौली क्षेत्र शामिल थे।

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