कैसा लगा के जवाब में कहते हैं, इस पावन धरा पर आकर खुद को धन्य मान रहा हूं। यहां अपार जनसमूह की थाह लेना कठिन है। मालूम ही नहीं पड़ता, कहां से कहां तक भीड़ आ-जा रही है। यह प्रबंधन अद्भुत है।
तेलंगाना में अपने विधानसभा क्षेत्र में 500 मंदिर बनवाकर सुर्खियों में आए विधायक केपी वेंकट रमना रेड्डी पावन त्रिवेणी के तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब देखकर आह्लादित हैं। महाकुंभ में वह पहली बार आए हैं।
कैसा लगा के जवाब में कहते हैं, इस पावन धरा पर आकर खुद को धन्य मान रहा हूं। यहां अपार जनसमूह की थाह लेना कठिन है। मालूम ही नहीं पड़ता, कहां से कहां तक भीड़ आ-जा रही है। यह प्रबंधन अद्भुत है
रमना रेड्डी इसके पहले 2019 में सपरिवार संगम आए थे। वह आम दिन थे। यह खास। मंगलवार को वह अपार भीड़ देखकर रास्ते से ही लौट आए। अब रात में जाएंगे। कामारेड्डी क्षेत्र से विधायक रमना रेड्डी की सियासी कामयाबी की यात्रा भी कुछ दिलचस्प नहीं। उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को 7000 मतों से हराया था।तब, यहीं से मौजूदा सीएम रेवंत रेड्डी भी मैदान में थे, जो तीसरे नंबर पर थे।
रमना रेड्डी के पिता केपी राजा रेड्डी भी कामारेड्डी पंचायत समिति के 25 बरस तक अध्यक्ष रहे। फिर, रमना भी 2006 से 2011 तक जिला परिषद समिति के अध्यक्ष चुने गए। 2018 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन जमानत तक नहीं बचा पाए। मगर, उन्होंने 2023 के चुनाव में दिग्गजों को परास्त कर डाला।
रमना बताते हैं कि यह जीत मंदिरों और शादीखाना (बरातघर) बनवाने से ही मिली। दरअसल, पहला चुनाव हारने के बाद जनसंपर्क जारी रखा। इस दौरान सैकड़ों जगहों पर मंदिरों को आधा-अधूरा पाया। मालूम चला कि बनाने के लिए इनके पास पैसा नहीं है। इसका जिम्मा मैंने ले लिया।
पांच साल में 500 से ज्यादा आधे-अधूरे और नए मंदिरों का निर्माण कराया। 120 बरातघर भी बनवाए। मंदिरों के निर्माण में 80 करोड़ और बरातघरों में 40 करोड़ खर्च हुए। इतना पैसा जुटाने के लिए उन्होंने हैदराबाद और कामारेड्डी की तीन संपत्तियां बेच दीं। यह सिलसिला रुका नहीं है।
वह बताते हैं कि 100 मंदिरों का निर्माण और हो चुका है। इनकी रंगाई-पोताई चल रही है। अब तो स्थिति यह हो चुकी है कि कामारेड्डी के 20 आदिवासी गांवों को छोड़ दें तो शेष 70 गांवों में कई-कई मंदिर और बरातघर बन चुके हैं।
हर समाज के देवी-देवताओं के बनवाए मंदिर
बकौल रमना रेड्डी, हमने किसी भी समाज के देवी-देवताओं को नहीं छोड़ा, सबके मंदिर बनवाए। ताड़ी तोड़ने वाले गौड़ समाज की कुलदेवी रेणुका माता का मंदिर बनवाया तो मुदिराज के लिए वनदुर्गा। मछुआरों के लिए गंगा माता का मंदिर बनवाया तो यादवों के लिए मल्लिकार्जुन का। इसके साथ काली माता और शिव मंदिर भी बनवाए। शादी के लिए बरातघर बनवाए, जो गरीबों को मुफ्त मिल रहे हैं। इनका संचालन समाज के ही लोग करते हैं।
ढक्कन भर बांट आया हूं पिछले महाकुंभ का गंगाजल
हैदराबाद से ही आए प्रवीन कुमार कोरपोले दूसरी बार महाकुंभ में आए हैं। वह बताते हैं कि 2013 में 20 लोगों के समूह में आए थे। स्नान के बाद संगम से 10 लीटर गंगाजल ले गए थे। वह पावन जल अभी तक सुरक्षित है।
- यहां आने से पहले उसे रिश्तेदारों को ढक्कन-ढक्कन भर बांट दिया है, ताकि मौनी अमावस्या को इससे स्नान कर सकें। प्रवीन कहते हैं, यहां दोबारा आने का अवसर सौभाग्य की ही बात है