Thursday, January 23, 2025

करोड़ों रुपये के इनामी शीर्ष माओवादी नेताओं की तलाश में सुरक्षा एजेंसियां 

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नई दिल्ली: ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान के दौरान वरिष्ठ माओवादी नेता जयराम रेड्डी उर्फ ​​चलपति की हत्या के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने नंबाला केशव राव, माडवी हिडमा और गणपति सहित शीर्ष तीन माओवादी नेताओं की तलाश के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है.

इन तीन शीर्ष माओवादी नेताओं पर करोड़ों रुपए का इनाम भी है. नंबाला केशव राव उर्फ ​​बसवराज पर 1.50 करोड़ रुपये का इनाम है. इसी तरह माडवी हिडमा पर 1 करोड़ रुपये और गणपति पर 2.50 करोड़ रुपये का इनाम है. हालांकि गणपति ने 2018 में इस्तीफा दे दिया था, लेकिन नक्सल आंदोलन में उसका प्रभाव और भागीदारी अभी भी जारी है. बसवराज, जो सीपीआई(एम) का महासचिव भी है, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की मोस्ट वांटेड सूची में है.

सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देकर बसवराज अपने ठिकानों से अपनी गतिविधियां जारी रखता रहा. सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि कई माओवादी नेता सुरक्षा एजेंसियों की टारगेट लिस्ट में हैं. हालांकि, बसवराज, हिडमा और गणपति इनमें सबसे प्रमुख हैं. कई बड़े इनामी माओवादी नेता अब सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी निगरानी में हैं. ऐसे नेताओं को उनके ठिकानों से बाहर निकालने के उद्देश्य से सुरक्षा एजेंसियों ने छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र के जंगलों में और अधिक अग्रिम चौकियां स्थापित करके बहुआयामी रणनीति अपनाई है.

अन्य शीर्ष माओवादी नेता
मल्लोजुला वेणुगोपाल, कटकम सुदर्शन, मिसिर बेसरा उर्फ ​​भास्कर, प्रयाग मांझी उर्फ ​​विवेक, असीम मंडल उर्फ ​​आकाश और पतिराम मांझी संगठन के कुछ अन्य वरिष्ठ सदस्य हैं, जो सुरक्षा एजेंसियों की मोस्ट वांटेड सूची में हैं. मिसिर बेसरा, प्रयाग मांझी, असीम मंडल और पतिराम मांझी उन लोगों में शामिल हैं जिनके सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम है और वे झारखंड पुलिस के रडार पर हैं.

नंबाला केशव राव
नंबाला केशव राव को गगनना के नाम से भी जाना जाता है, पहले संगठन के केंद्रीय सैन्य आयोग का प्रमुख था. 2018 में गणपति के इस्तीफे के बाद राव संगठन का सर्वोच्च कमांडर बन गया. आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियान्नापेट गांव से ताल्लुक रखने वाला राव पूर्व कबड्डी खिलाड़ी था और उसने क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज, वर्तमान में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वारंगल से बीटेक पास किया था. 1955 में जन्मे राव अपने छात्र जीवन से ही वामपंथी छात्र राजनीति में सक्रिय थे. राव को 1980 में श्रीकाकुलम में दो छात्र संघों, रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन (RSU) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के बीच झड़प के बाद एक बार गिरफ्तार किया गया था.

माडवी हिडमा
1981 में जन्मे माडवी हिडमा इस संगठन के खूंखार सदस्यों में से एक है. वह कथित तौर पर छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों पर हुए कई हमलों के लिए जिम्मेदार था, जिसमें 2013 में दरभा घाटी नक्सली हमला भी शामिल है. हिडमा 2010 में दंतेवाड़ा में हुए माओवादी हमले और 2017 में सुकमा हमले के लिए भी जिम्मेदार था. छत्तीसगढ़ के दक्षिणी सुकमा के पुरवती गांव में जन्मे हिडमा को हिडमालू उर्फ ​​संतोष के नाम से भी जाना जाता है. 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद हिडमा संगठन में शामिल हो गया और सैन्य अभियान और गुरिल्ला युद्ध का मास्टर रणनीतिकार बन गया. वह वर्तमान में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की ‘बटालियन नंबर 1’ का कमांडर है.

गणपति
1949 में तेलंगाना के करीमनगर जिले के सारंगपुर में जन्मे गणपति भारत में माओवादी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले नेताओं में से एक है. गणपति विज्ञान स्नातक है और उसके पास बीएड की डिग्री भी है. माओवादियों में शामिल होने से पहले अपने शुरुआती दिनों में गणपति ने एक शिक्षक के रूप में काम किया, लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उसने अपनी नौकरी छोड़ दी. वारंगल में पढ़ाई के दौरान गणपति कई माओवादी कार्यकर्ताओं के संपर्क में आया. साथ ही उनकी विचारधारा से प्रभावित होकर गणपति बाद में नक्सलवादी आंदोलन में शामिल हो गया. माओवादियों के इस पूर्व महासचिव को मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ ​​श्रीनिवास, सीएस आदि नामों से भी जाना जाता है.

शीर्ष तीन का स्थान
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा सीमा के साथ-साथ महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश सीमा के विभिन्न सुदूर इलाकों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. माना जाता है कि नंबाला केशव राव छत्तीसगढ़ और ओडिशा सीमा से अपनी गतिविधियां चला रहा है. एनआईए ने राव के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर उसे भगोड़ा और घोषित अपराधी घोषित कर दिया है.

ऐसा माना जाता है कि हिडमा बस्तर से अपनी गतिविधियां संचालित करता है, जो छत्तीसगढ़ के दक्षिण में स्थित है और आंध्र प्रदेश, ओडिशा तथा महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ है. गणपति जो कथित तौर पर अपनी बीमारी के कारण संगठन से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, माना जाता है कि उन्होंने अपना ठिकाना विदेश में बना लिया है. माना जाता है कि उन्होंने नेपाल में शरण ले रखी है.

सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक ने क्या कहा

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के पूर्व महानिदेशक दुर्गा प्रसाद ने नक्सलियों के खिलाफ सफल अभियानों की सराहना की. प्रसाद ने कहा, “सुरक्षा एजेंसियों को नक्सलियों के खिलाफ बड़ी सफलता मिल रही है और अगर यह इसी तरह जारी रहा, तो प्रतिबंधित संगठन निश्चित रूप से खत्म हो जाएगा.” उन्होंने कहा कि शीर्ष नेताओं का खात्मा निश्चित रूप से नक्सली आंदोलन के खिलाफ काम कर रहा है.

प्रसाद ने कहा, “संगठन अपना स्थानीय समर्थन खो रहा है, भर्ती दो प्रमुख बिंदु हैं.” सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक ने केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ राज्य पुलिस बलों द्वारा अपनाई गई रणनीति और समन्वय की भी सराहना की. उन्होंने कहा, “सुरक्षा बल अब बढ़त पर हैं. सुरक्षाकर्मियों के उचित प्रशिक्षण, साथ ही बेहतर खुफिया जानकारी और केंद्र सरकार के सहयोग से नक्सल विरोधी अभियानों में मदद मिल रही है.”

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