इन सीटों पर इस बार नेताओं के बेटे-बेटियों ने चुनावी मैदान में उतरकर नई पीढ़ी की दावेदारी पेश की है। इनमें कई उम्मीदवार कांग्रेस से जुड़कर अपनी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कुछ दल बदलकर दूसरे राजनीतिक दलों से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
दिल्ली की राजनीति में मुस्लिम बहुल सीटों पर पारंपरिक राजनीतिक परिवारों का प्रभाव दिख रहा है। इन सीटों पर इस बार नेताओं के बेटे-बेटियों ने चुनावी मैदान में उतरकर नई पीढ़ी की दावेदारी पेश की है। इनमें कई उम्मीदवार कांग्रेस से जुड़कर अपनी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कुछ दल बदलकर दूसरे राजनीतिक दलों से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस बार पांच मुस्लिम बहुल सीटों पर नेताओं के पुत्र और पुत्री चुनाव मैदान में हैं। वहीं, जंगपुरा से फरहाद सूरी कांग्रेस से मैदान में हैं। कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन पाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है, जबकि आम आदमी पार्टी ने युवा चेहरों को मौका देकर अपनी पकड़ मजबूत रखने की कोशिश की है
सीलमपुर : पूर्व कांग्रेसी विधायक के पुत्र चौधरी जुबेर अहमद आप से मैदान मेंसीलमपुर सीट पर करीब 50 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। 1993 में जनता दल, 1998 में निर्दलीय 2003, 2008, 2013 में मतीन अहमद चौधरी कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। 2015 व 2020 के चुनाव में वह कांग्रेस से टिकट मिलने पर तीसरे स्थान पर रहे। इस बार उनका पुत्र चौधरी जुबेर अहमद आप से चुनाव मैदान में है। जुबेर अहमद के सामने वर्तमान विधायक अब्दुल रहमान पाला बदलकर कांग्रेस से मैदान में है। 2003 से 2013 तक यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है, लेकिन पिछले दो बार से आप का उम्मीदवार इस सीट से जीतता आ रहा है। यहां कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन का तलाशने के लिए प्रयास कर रही है। इस कारण राहुल गांधी ने अपने चुनावी प्रचार अभियान की शुरूआत यहीं से की।
मटिया महल: कांग्रेस के पूर्व विधायक आले मोहम्मद इकबाल की आप से उम्मीदवारीमटिया महल सीट पर करीब 48 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता है। 1993, 1998 में जनता दल, 2003 में जनता दल सेक्युलर (जेडीएस), 2008 में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी), 20013 में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से शोएब इकबाल विधायक चुने गए। 2015 में शोएब इकबाल कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे, लेकिन आप के आसिम अहमद खान से हार मिली। 2020 में आप से टिकट पाकर चुनाव में उतरे और भाजपा उम्मीदवार को हराया। कांग्रेस उम्मीदवार मिर्जा जावेद अली तीसरे स्थान पर रहे। इस बार आप ने शोएब इकबाल के पुत्र आले मोहम्मद इकबाल को उम्मीदवार बनाया है। उनके सामने कांग्रेस से आसिम अहमद खान हैं।
ओखला: पूर्व कांग्रेसी विधायक आसिफ मोहम्मद खान की पुत्री आरिबा मैदान मेंओखला सीट पर करीब 43 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता है। 1993 में जनता दल, 1998, 2003, 2008 में कांग्रेस से परवेज हाशमी विधायक चुने गए। 2013 में आसिफ मोहम्मद खान कांग्रेस से विधायक चुने गए, लेकिन 2015 व 2020 में अमानतुल्लाह खान आप से विधायक चुने गए। 2015 और 2020 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। इस पर कांग्रेस ने आसिफ मोहम्मद खान की पुत्री आरिबा खान को मैदान में उतारा है। आप से अमानतुल्लाह खान तीसरी बार मैदान में है।
मुस्तफाबाद : पूर्व कांग्रेसी विधायक के पुत्र अली मेहंदी की दावेदारीः2008 में बनी मुस्तफाबाद सीट पर 36 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता है। 2008, 2013 में कांग्रेस से हसन अहमद विधायक चुने गए। 2015 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा के जगदीश प्रधान ने कब्जा कर लिया। इस कारण वह दूसरे स्थान पर रहे। 2020 के चुनाव में आप के हाजी युनूस ने यह सीट जीत ली। कांग्रेस के अली मेहंदी तीसरे स्थान पर रहे। इस बार आप आदिल अहमद खान मैदान में है। वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर से अपने पूर्व विधायक हसन अहमद के पुत्र अली मेंहदी पर भरोसा जताया है।बल्लीमारान: हारुन यूसुफ पर खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने की चुनौतीःबल्लीमारान सीट पर करीब 38 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता है। बल्लीमारान से 1993, 1998, 2003, 2008, 2013 में कांग्रेस से हारुन यूसुफ विधायक बने। मगर 2015 व 2020 के चुनाव में कांग्रेस से टिकट पर चुनाव लड़कर वह तीसरे स्थान पर रहे। इस बार भी उनके सामने आप से दो बार के विधायक इमरान हुसैन है। उनके सामने अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने की चुनौती