अमेरिका में पली-बढ़ीं और भारत में संन्यासी बनकर महिला सशक्तीकरण और बच्चों की शिक्षा पर काम करने वाली साध्वी भगवती सरस्वती कहती हैं कि महाकुंभ एकता का संदेश देता है। महाकुंभ के सेक्टर 23 स्थित परमार्थ के शिविर में साध्वी भगवती सरस्वती से बातचीत की नीरज मिश्रा ने।
अमेरिका में पली-बढ़ीं और भारत में संन्यासी बनकर महिला सशक्तीकरण और बच्चों की शिक्षा पर काम करने वाली साध्वी भगवती सरस्वती कहती हैं कि महाकुंभ एकता का संदेश देता है। यह हमें एक-दूसरे के साथ जोड़ता है। तभी तो करोड़ों लोग खुले आसमां के नीचे एक साथ स्नान करते हैं। नहीं तो कोई महिला इतने लोगों के बीच में कैसे स्नान कर सकती है। यह दर्शाता है कि हम सब एक परिवार हैं। महाकुंभ के सेक्टर 23 स्थित परमार्थ के शिविर में साध्वी भगवती सरस्वती से बातचीत की नीरज मिश्रा ने।
जिस उम्र में लोग अपना कॅरिअर बनाने की सोचते हैं, अपने सपने बुनते हैं। आपने संन्यास ले लिया। कितना मुश्किल था यह फैसला ?
मेरे लिए तो कठिन नहीं था, लेकिन मेरे परिवार के लिए कठिन था। जब मैं पहली बार भारत आई थी तो ऋषिकेश पहली जगह थी, जहां मैं घूमने गई। यहां पहुंचकर लगा कि मेरी पढ़ाई-लिखाई तो किसी के काम नहीं आएगी। मैं तो दुनिया को कुछ दे ही नहीं पाऊंगी। इसके बाद मेरा मन बदल गया और संन्यास ने मुझे चुन लिया। पूज्य स्वामी चिदानंद जी से मिलने के बाद मैंने तय किया कि अब जीवन यहीं बिताना है।
आपके लिए महाकुंभ के क्या मायने हैं ?महाकुंभ का आयोजन आध्यात्मिक जागृति और आत्मा की शुद्धि के लिए होता है। इसमें पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती में स्नान का महत्व है, जो व्यक्ति को अपने पापों और बुराइयों से मुक्त करने का प्रतीक है। महाकुंभ विभिन्न राज्यों, भाषाओं और परंपराओं से आए करोड़ों लोगों के मिलन का स्थल है। यह भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को दर्शाता है। यहां विभिन्न संत, महात्मा और विद्वान धार्मिक प्रवचन और सत्संग आयोजित करते हैं। यह ज्ञान, योग और ध्यान का गहरा अनुभव प्रदान करता है। महाकुंभ एकता का संदेश देता है। तभी तो करोड़ों लोग एक साथ खुले आसमां के नीचे स्नान करते हैं। नहीं तो कोई महिला भला इतने लोगों के बीच में कैसे स्नान कर सकती है। महाकुंभ मेरे लिए एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय जीवन दर्शन, आस्था और मानवता का उत्सव है। आपकी किताब हॉलीवुड टू द हिमालयाज बेस्ट सेलर रही, कुछ उसके बारे में बताएं ? हॉलीवुड टू द हिमालयाज मेरे यात्रा की कहानी है। यह बताती है कि अगर आपमें दृढ़ इच्छाशक्ति है तो आप कुछ भी कर सकते हैं। हॉलीवुड टू द हिमालयाज में सकारात्मक परिवर्तन का संदेश है। लोगों को पढ़नी चाहिए कि किस तरह से धर्म परिवर्तन, मन परिवर्तन और मानसिकता का परिवर्तन हो सकता है। आजकल मेले में आईआईटियन बाबा, हर्षा रिछारिया खूब वायरल हो रहे हैं। आप कैसे देखती हैं इसे? देखिए, यह सब कर्मों के आधार पर होता है। आईआईटियन भी बाबा बन सकते हैं। कोई भी व्यक्ति जिसे आत्मज्ञान हो, वह ज्ञान के मार्ग पर चल सकता है। उसका बैकग्राउंड नहीं तलाशना चाहिए। कई बार लोग प्रायश्चित करने के लिए जप-तप करते हैं। साधना करते हैं। उन्हें पता होता है कि उनसे गलत हुआ है। इसलिए वह इस मार्ग पर बढ़ जाते हैं। आप अनेक देशों में जाती हैं। हर जगह लोग शांति खोज रहे हैं। आपके लिए क्या है शांति? आजकल शांति के लिए अनेक देशों के लोग भारत आ रहे हैं। विभिन्न आश्रमों से जुड़कर ध्यान और योग कर रहे हैं। शांति सिर्फ ध्यान और योग से ही आ सकती है। आजकल के युवा जो तरीका अपना रहे हैं, वह गलत है। उससे शांति तो नहीं मिलती परेशानी जरूर बढ़ जाती है
कौन हैं साध्वी भगवती सरस्वती