रांची: बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची कैंपस में NATIONAL SEMINAR ON ADVANCES ON INNOVATION IN AEROSPACE ENGINEERING विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और उद्योग विशेषज्ञों ने अपने-अपने विचार साझा किए.
राष्ट्रीय सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉ जी ए श्रीनिवास मूर्ति, निदेशक, डीआरडीएल ने अपने संबोधन में कहा कि “एयरोस्पेस देश का भविष्य है. “उन्होंने बीआईटी मेसरा में उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाओं की सराहना की और इसे भारत के अग्रणी अनुसंधान और शिक्षा संस्थानों में से एक बताया. इंजीनियर मनीष कोठारी, अध्यक्ष, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग डिवीजन बोर्ड, ने एयरोस्पेस उद्योग की भारत की तकनीकी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और भारतीय एयरोस्पेस उद्योग (IAI) के योगदान पर प्रकाश डाला.
डॉ. एम. के. गुप्ता, अध्यक्ष, IEI, झारखंड राज्य केंद्र ने स्वागत भाषण में इस बात पर जोर दिया कि IEI इंजीनियरों को वैश्विक मंच प्रदान करता है, जिससे वे ज्ञान साझा कर सकें और नवाचार को बढ़ावा दे सकें. प्रो. सुदीप दास, आयोजन सचिव और बीआईटी मेसरा के रजिस्ट्रार, ने भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति पर प्रकाश डाला और इस तरह के सम्मेलनों के महत्व को रेखांकित किया, जो भविष्य की एयरोस्पेस प्रगति को बढ़ावा देते हैं. बीआईटी मेसरा के कुलपति, प्रो. इंद्रनील मन्ना, ने संस्थान की 70 वर्षों की गौरवशाली यात्रा और उच्च शिक्षा और अनुसंधान में इसकी निरंतर प्रतिबद्धता पर चर्चा की.
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में उनके उत्कृष्ट योगदान के सम्मान में डॉ. आर. राजासिंह थंगदुरई, कार्यक्रम निदेशक, ब्रह्मोस, डीआरडीएल,डॉ. प्रियांक कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर सह विभागाध्यक्ष, स्पेस इंजीनियरिंग और रॉकेट्री, बीआईटी मेसरा, डॉ. विजयमोहन कुमार, पूर्व समूह निदेशक, वीएसएससी, इसरो. इसके अलावा यंग इंजीनियर अवार्ड डॉ. एच. जीवन राव को उनके अद्वितीय शोध और नवाचार के लिए प्रदान किया गया, जो एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनकी असाधारण उपलब्धियों को दर्शाता है. सम्मेलन में अलग-अलग तकनीकी सत्र, पैनल चर्चा और कार्यशालाएं आयोजित की गईं. सम्मेलन में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व को मजबूत किया, जिससे भारत की वैश्विक एयरोस्पेस क्षेत्र में स्थिति और अधिक सशक्त हुई. बीआईटी, मेसरा ने भारतीय अभियंता संस्थान (IEI), झारखंड राज्य केंद्र के सहयोग से सम्मेलन का आयोजन किया.