धनबाद: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने धनबाद के बीसीसीएल कोयला नगर स्थित गेस्ट हाउस में कार्यकर्ताओं और विधायकों के साथ मुलाकात के दौरान राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर जमकर निशाना साधा. धनबाद से दुमका जाते समय गेस्ट हाउस में रुके रघुवर दास का कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया. इस दौरान धनबाद विधायक राज सिन्हा और बाघमारा विधायक शत्रुघ्न महतो ने उनसे मुलाकात की.
भ्रष्टाचार पर प्रहार
रघुवर दास ने झारखंड सरकार पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अंचल कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक भ्रष्टाचार व्याप्त है. बिना पैसे दिए आम जनता का कोई काम नहीं हो रहा. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार में न तो आदिवासी सुरक्षित हैं और न ही आम जनता.
कानून व्यवस्था की चरमराई स्थिति
पूर्व मुख्यमंत्री ने रांची में जमीन विवाद को लेकर बढ़ती हत्याओं पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि झारखंड में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. हर दिन जमीन विवाद के कारण हत्याएं हो रही हैं, लेकिन सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही.
- सरना धर्म कोड पर राजनीति का आरोप
- रघुवर दास ने सरना धर्म कोड के मुद्दे पर कांग्रेस और झामुमो पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि ये दल केवल राजनीति कर रहे हैं. जब केंद्र और राज्य में उनकी सरकार थी, तब उन्होंने इसे लागू नहीं किया और अब इस मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं.
- माफियाओं के इशारे पर चल रही सरकार
- बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि कोयला और जमीन माफियाओं का सिंडिकेट सरकार चला रहा है. उनके इशारे पर ही सरकार काम कर रही है. रघुवर दास ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी झारखंड की स्थिति खराब है, लेकिन सरकार सुधार के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही.
- उद्योगों की अनदेखी और उग्रवाद का खतरा
- पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में उद्योगों के नहीं आने का मुख्य कारण बढ़ती आपराधिक घटनाएं और व्यापार के लिए अनुकूल व्यवस्था का अभाव है. उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल में सिंगल विंडो सिस्टम और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में झारखंड देश में चौथे स्थान पर था, लेकिन अब यह 27वें स्थान पर पहुंच गया है. साथ ही, उन्होंने उग्रवाद के फिर से पनपने की चेतावनी दी और कहा कि ऐसी स्थिति में कोई भी निवेशक झारखंड में निवेश नहीं करना चाहेगा.
- अबुआ राज में असुरक्षा
- रघुवर दास ने कहा कि अबुआ राज में न तो महिलाएं सुरक्षित हैं और न ही आदिवासी महिलाएं. उन्होंने जोर देकर कहा कि न जल, न जंगल, न जमीन और न ही जनमानस सुरक्षित है. सरकार केवल बयानबाजी कर रही है, जबकि धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा.