नई दिल्ली: ईद-उल-अजहा के लिए दरगाह पर पशु वध की अनुमति देने वाले आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया. इस याचिका में महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के विशालगढ़ किले में स्थित दरगाह पर ईद-उल-अजहा और उर्स के लिए पशु वध की अनुमति दी गई थी.
बता दें कि एक वकील ने न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया. वकील ने कहा, “कल बकरीद है और संरक्षित स्मारक विशालगढ़ में उच्च न्यायालय ने वध की अनुमति दे दी है.” वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 12 जून तक उर्स के लिए संरक्षित स्मारक क्षेत्र में भी पशु वध की अनुमति दी है. गौर करें तो किला एक संरक्षित स्मारक है. इसी का हवाला देते हुए अधिकारियों ने परिसर में पशु और पक्षियों के वध पर रोक लगा दी थी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि संरक्षित स्मारकों में बहुत सी धार्मिक गतिविधियां चल रही हैं. वकील ने महाराष्ट्र सरकार की एक विशेष अधिसूचना का हवाला दिया. इसमें कहा गया है कि संरक्षित क्षेत्र में जानवरों का वध नहीं किया जा सकता है. वकील ने कहा कि बीते साल हाईकोर्ट ने बंद परिसर में जानवरों के वध की अनुमति दी थी. इसके साथ ही 3 जून 2025 को पारित आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि पिछले साल जो प्रतिबंध थे, वे इस साल भी लागू रहेंगे.
पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, ‘चाहे वह किसी भी धर्म या आस्था का हो, संरक्षित स्मारक में बहुत सारी गतिविधियां चल रही हैं.’ न्यायमूर्ति करोल ने कहा, ‘मैं आपको बता दूं कि त्रिपुरा (उच्च न्यायालय) में बैठकर मैंने वहां पशु वध पर प्रतिबंध लगाया था और फिर इस न्यायालय ने आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि एक बंद स्थान में यह किया जाएगा.’
वकील ने पीठ से मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. हालांकि, पीठ ने कहा, “इसमें इतनी जल्दी क्या है? यह मामला निरर्थक होगा…” इस महीने की शुरुआत में, उच्च न्यायालय ने हजरत पीर मलिक रेहान दरगाह ट्रस्ट द्वारा पशुओं को काटने की अनुमति मांगने के लिए एक आवेदन पर आदेश पारित किया था. उच्च न्यायालय ने 7 जून को मनाई जाने वाली ईद-उल-अजहा और 8 से 12 जून तक विशालगढ़ किले में ‘दरगाह’ पर आयोजित होने वाले चार दिवसीय उर्स (मेले) के लिए पशु वध की अनुमति दी थी.