नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2025 के लिए केंद्र सरकार के लिए 2.68 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लाभांश की घोषणा की है. यह सरकार के अपने बजट में अपेक्षित 2.1 लाख करोड़ रुपये से काफी अधिक है.
लाभांश क्यों महत्वपूर्ण है?
यह लगातार तीसरा साल है जब RBI ने बजट से ज्यादा दिया है. पिछले साल वास्तविक लाभांश सरकार की अपेक्षा से 2.6 गुना ज्यादा था. इस साल आश्चर्य थोड़ा कम है, लेकिन फिर भी सरकारी कोष में जीडीपी का 0.15 फीसदी अतिरिक्त है.
यह पैसा कहां से आया?
- हाई विदेशी मुद्रा (एफएक्स) बिक्री- आरबीआई ने वित्त वर्ष 25 में लगभग 398 बिलियन डॉलर (वित्त वर्ष 24 में 153 बिलियन डॉलर के मुकाबले) बेचे, जिससे इसकी विदेशी मुद्रा आय में बढ़ोतरी हुई.
- जी-सेक से अधिक ब्याज- आरबीआई ने सरकारी सिक्योरिटी को धारण करके और उनमें निवेश करके अधिक कमाया.
- कम परिसंपत्ति पुनर्मूल्यांकन घाटा- अपने विदेशी और घरेलू होल्डिंग्स पर लाभ का मतलब था कि आरबीआई को घाटे के लिए कम अलग रखना पड़ा.
सरकार के वित्त के लिए इसका क्या मतलब है?
सरकार पैसों का यूज कमजोर कर राजस्व और धीमी जीडीपी बढ़ोतरी की भरपाई करेगा, जिससे सरकार को वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी के 4.4 फीसदी के अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी.क्या इससे ब्याज दरों पर असर पड़ेगा?
इस लिक्विडिटी बढ़ोतरी के बावजूद आरबीआई जून में दरों में कटौती के साथ आगे बढ़ेगा. उसे उम्मीद है कि टर्मिनल पॉलिसी दर 5.25 फीसदी पर स्थिर हो जाएगी, और 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड 2025 के अंत तक 6.0 फीसदी तक कम हो जाएगी.