Saturday, May 24, 2025

मुंबई-कोलकाता की दूरी 400 किलोमीटर हो जाएगी कम, झारखंड में यहां बन रही नई रेलवे लाइन

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बरवाडीह में सांसद कालीचरण सिंह ने चिरिमिरी और चतरा रेल लाइन परियोजनाओं को जल्द पूरा करने की बात कही। उन्होंने कहा कि चिरिमिरी रेल लाइन से पलामू प्रमंडल के लोगों को सुविधा होगी और मुंबई-कोलकाता की दूरी 400 किमी कम हो जाएगी। रेल बजट 2023 में इस परियोजना को मंजूरी मिली थी। 1942 में शुरू हुई इस परियोजना में अभी भी 182 किलोमीटर का काम बाकी है।

लातेहार बरवाडीह की बहुप्रतीक्षित योजना चिरिमिरी रेल लाइन व चतरा रेल लाइन परियोजना पर सभी रेल अधिकारियों का ध्यान केंद्रित कराते हुए इन दोनों परियोजना को जल्द पूरा करने की बात बरवाडीह में चतरा लोकसभा क्षेत्र के सांसद कालीचरण सिंह ने कही।

इस संबंध में कालीचरण सिंह ने कहा कि अगर चिरमिरी रेल लाइन चालू हो जाती है तो इस क्षेत्र के अलावा पूरे पलामू प्रमंडल के लोगों को सहूलियत होगी। जिससे झारखंड और छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए मुंबई और कोलकाता की दूरी 400 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा में आसानी होगी।

‘मैं पूरे प्रयास कर रहा हूं…’

सांसद ने कहा कि इस रेल लाइन को लेकर मैं पूरे प्रयास कर रहा हूं। जल्द इस प्रोजेक्ट को पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा। केंद्र सरकार हर एक कार्य पर अपनी नजर बनाए हुए और क्षेत्र का विकास ही हमारा पहली प्राथमिकता है। लंबे समय से लंबित इस परियोजना पर अब काम शुरू जल्द होने जा रहा है।

सांसद ने कहा कि इसके लिए मैं पुरजोर तरीके से कार्य कर रहा हूं। इस परियोजना के पूरा होने से झारखंड के पलामू प्रमंडल का आदिवासी बाहुल्य इलाका देश के बड़े शहर मुंबई और हावड़ा से सीधे जुड़ जाएगा। रेल बजट 2023 में इस नई रेल लाइन को मंजूरी दी गई है। 182 किलोमीटर रेल लाइन का विस्तार होना है।

जनवरी महीने में बरवाडीह-चिरमिरी रेल लाइन परियोजना का सर्वे और डीपीआर तैयार किया जा चुका है। सांसद ने कहा कि जो भी रुकावट है उसे भी देखा जाएगा।

रेल लाइन से जुड़ी अहम बातें-

बता दें कि ब्रिटिश काल में वर्ष 1942 में बरवाडीह-चिरमिरी रेल लाइन परियोजना का कार्य शुरू हुआ था। जमीन का अधिग्रहण कर रेलवे लाइन बिछाने का कार्य भी किया गया था।

चिरीमिरी से विश्रामपुर तक 129 किलोमीटर रेलखंड वर्ष 1962 से परिचालन में है। विश्रामपुर से अंबिकापुर तक 19 किलोमीटर रेल लाइन भी पूरी कर ली गई है, लेकिन अंबिकापुर से बरवाडीह तक 182 किलोमीटर की रेल लाइन के निर्माण का कार्य पूरा नहीं किया जा सका।

रेल मंत्रालय ने इस रेल लाइन को अव्यावहारिक एवं अलाभप्रद मानकर इसके निर्माण को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। पूर्व में तत्कालीन सांसद इंदर सिंह नामधारी, सुनील सिंह समेत अन्य ने भी इस रेल परियोजना को पूरा कराने की मांग संसद में उठाई थी।

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