Thursday, May 22, 2025

हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बायो वेस्ट प्लांट नहीं लगाया गया है, जिससे मेडिकल कचरे का निस्तारण नहीं हो पा रहा है.

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हजारीबाग: छह साल पहले शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल को लोगों की सेवा के लिए खोला गया, लेकिन इतना वक्त बीत जाने के बावजूद, अस्पताल में बायो वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट नहीं लग पाया है.

बायो वेस्ट प्लांट लगाना किसी भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है, लेकिन सरकारी उदासीनता और प्रशासनिक विफलता के कारण बायो वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का भविष्य अधर में लटका हुआ है. आलम यह है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में पोस्टमार्टम हाउस के निकट ही बायो वेस्ट प्रोडक्ट डिस्पोज किया जाता है. दूसरी ओर कई ऐसे नर्सिंग होम हैं जो सड़क किनारे ही बायो मेडिकल वेस्ट खुले में फेंक रहे हैं.

स्थापना के बाद भी नहीं बना बायो वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कई मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिल सके. 6 साल बीत जाने के बावजूद हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बायो वेस्ट प्लांट स्थापित नहीं हो पाया है. जिसके कारण मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बढ़ रहा है संक्रमण का खतरा!

शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस के बगल में ही खुले में ही बायो वेस्ट प्रोडक्ट फेंका जा रहा है. हालांकि रामगढ़ की कंपनी को बायो वेस्ट प्रोडक्ट डिस्पोज करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वह उसे उठाकर ले जाती है. सवाल यह है कि ऐसे वेस्ट को खुले में क्यों फेंका जा रहा है. खुले में फेंके जाने से अस्पताल के आसपास बदबू और गंदगी का अंबार है. खासकर बारिश के दिनों में गंदगी और बढ़ जाती है. इसके साथ ही संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है.

खुले में बायो वेस्ट प्रोडक्ट फेंकना कहां तक सही?

शहर में शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अलावा एक सौ से अधिक निजी नर्सिंग होम और क्लीनिक है. खासकर नवाबगंज रोड में निजी नर्सिंग होम और लैब की भरमार है. पूरे हजारीबाग से रोजाना 20 टन से अधिक मेडिकल और म्युनिसिपल कचरा निकलता है. मेडिकल कॉलेज में बायो कचरा रखने के लिए तीन रूम बनाए गए हैं. इसी जगह से रामगढ़ की एजेंसी बायो कचरा उठाकर ले जाती है. दूसरी ओर नर्सिंग संचालक भी अपनी मनमानी कर रहे हैं. वे मेडिकल कचरे को नाले या फिर सड़क के किनारे फेंक देते हैं, जिससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है.

‘बायो वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाना बेहद जरूरी है. कॉलेज प्रबंधन ने वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी है लेकिन बहुत जल्द प्लांट लगे इस लेकर पत्राचार भी किए गए हैं’डॉ. अनुकरण पूर्ति, अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज

अस्पताल में नहीं है इंसीनरेटर

शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इंसीनरेटर मशीन नहीं है. अभी इंसीनरेटर बैन भी है. यहां हर दिन दो टन से अधिक मेडिकल कचरा निकलता है. जिसे रामगढ़ भेजा जाता है. स्वास्थ्य विभाग का इंसीनरेटर के लिए एक कंपनी के साथ समझौता हुआ है. जिसका प्लांट रामगढ़ में है. वह मेडिकल कचड़े के उठाव के साथ साथ निस्तारण के लिए रामगढ़ ले जाती है.

स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता गणेश कुमार सीटू बताते हैं कि यह एक गंभीर समस्या है. जल्द से जल्द बायो वेस्ट प्लांट लगना चाहिए. यह बेहद जरूरी है. बायो वेस्ट प्लांट नहीं लगने के कारण सड़क किनारे भी अस्पताल से उत्पन्न वेस्ट सड़क फेंका जा रहा है.

मेडिकल कचरा फेंकने पर मिल रही है शिकायतें

सिविल सर्जन ने इस समस्या पर बोलते हुए बताया यहां आए दिन निजी नर्सिंग होम और निजी अस्पतालों द्वारा भी सड़कों के किनारे, मेडिकल कचरा फेंकने की शिकायत मिल रही है. वेस्ट मैनेजमेंट और प्रदूषण अधिनियम के तहत, खुले में मेडिकल कचरा फेंकना अपराध है. बड़े अस्पताल हो या छोटे अस्पताल चाहे निजी सभी को मेडिकल कचरा फेंकने की व्यवस्था करनी है.

इसके अलावा अस्पताल परिसर में लाल, पीला और काला अलग-अलग बाल्टी या ड्रम आदि रखना है. जिसमें उनके संस्थान से निकलने वाले मेडिकल कचरे को निर्धारित स्थान पर सुरक्षित तरीके से रखा जा सके. जो मेडिकल संस्थान खुले में मेडिकल कचरे को फेंकने का काम कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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