रांची के सदर अस्पताल में जल्द ही टेस्ट ट्यूब बेबी (आईवीएफ) की सुविधा शुरू होने जा रही है। इससे निःसंतान दंपतियों को कम खर्च में इसका लाभ मिलेगा। अभी निजी अस्पतालों में इसके लिए 80 हजार से तीन लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। सदर अस्पताल में 20 से 25 हजार रुपये में आईवीएफ का लाभ मिलेगा। अस्पताल की डॉक्टरें और ट्रेंड नर्सें इस सेंटर का संचालन करेंगी।
रांची। राजधानी रांची में अब सरकारी अस्पताल में भी टेस्ट ट्यूब बेबी (आईवीएफ) की सुविधा उपलब्ध होने जा रही है। निःसंतान लोगों के लिए यह वरदान साबित होगा। जरूरतमंद दंपती काफी कम पैसे में इसका लाभ उठा सकेंगे। अभी निजी अस्पतालों में इस उपचार और सुविधा के लिए लोगों को लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
रांची के सदर अस्पताल में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सुविधा शुरू होने के बाद यहां 20 से 25 हजार रुपये में आईवीएफ का लाभ मिल सकेगा।
अभी झारखंड में सिर्फ निजी आईवीएफ सेंटर में ही आईवीएफ की सुविधा है, जिनमें इस उपचार के लिए 80 हजार रुपये से तीन लाख रुपये तक खर्च करने होते हैं।
ऐसे में कम आमदनी वाले लोग इस सुविधा का लाभ नहीं ले पाते हैं। रांची के सिविल सर्जन डा. प्रभात कुमार बताते हैं कि यह सेंटर खुद अस्पताल द्वारा चलाया जाएगा, इससे गरीबों को काफी राहत मिलेगी। जो महिला पैसा देने की स्थिति में नहीं हैं, उन्हें भी निराश होने की जरूरत नहीं होगी, उनके घर में भी किलकारी गूंजेगी।
अभी सेंटर खोलने को लेकर एस्टीमेट बनाया जा रहा है। यह करीब दो करोड़ के आसपास होगा। इसमें कई एडवांस तकनीक की मशीनें खरीदी जाती हैं। साथ ही कुछ विशेषज्ञ तकनीशियन को भी रखा जाएगा।
अस्पताल की डॉक्टर ही चलाएंगी सेंटर:
सदर अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञों के माध्यम से ही आईवीएफ सेंटर का संचालन किया जाएगा। इसके लिए इन डाक्टरों को पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा। अभी अस्पताल में 18 स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं।
आईवीएफ सेंटर संचालित करने के लिए ट्रेंड नर्सों की भी जरूरत होगी, जो पहले से ही अस्पताल में मौजूद हैं, इनमें से कई नर्स आउटसोर्स के माध्यम से कार्यरत हैं। इनकी भी सेवा लेने की तैयारी है।
क्या होता है आईवीएफ प्रक्रिया में?
आईवीएफ एक सहायक प्रजनन तकनीक है जिससे गर्भाधान की प्रक्रिया में मदद मिलती है। इसमें अंडाशय से अंडे निकालकर प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है और फिर निषेचित अंडा (भ्रूण) को गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। इसके बाद महिला एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है। यह पूरी प्रक्रिया एक सटीक तापमान व तकनीक के साथ संपन्न कराई जाती है।