भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झारखंड में डीजीपी का पद दस दिनों से खाली है और जो काम कर रहे हैं उन्हें वेतन नहीं मिल रहा। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भ्रष्टाचार के दम पर प्रशासन चलाने का आरोप लगाया है। मरांडी ने डीजीपी नियुक्ति में संवैधानिक नियमों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी का भी आरोप लगाया है।
रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने रविवार को प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा है कि राज्य में दस दिनों से पुलिस महानिदेशक का पद खाली है। जो काम कर रहे हैं, वो बिना वेतन के सेवा दे रहे हैं।
मरांडी ने कहा है कि ऐसा काम करने वाला झारखंड पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तंज कसते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि है बिना वेतन, बिना संवैधानिक वैधता के सिर्फ भ्रष्टाचार के दम पर प्रशासन चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने डीजीपी नियुक्ति में संविधान के अनुच्छेद 312 को नकारा है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह केस के निर्देशों को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। यह प्रशासनिक विफलता है।
बाबूलाल हताश और भ्रमित, अपने अंदर देखें- झामुमो
सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को निशाने पर लिया है। पार्टी महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने रविवार को एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि झारखंड में जितनी समस्याओं और मुद्दों को मरांडी गिनाते हैं, वे भाजपा की सरकारों की देन हैं।
डीजीपी पद पर नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर सवाल उठाने से पहले उन्हें अपनी पार्टी के अंदर झांककर देख लेना चाहिए। पूर्व के भ्रष्टाचार और नौकरशाहों के खेल ने ही आज प्रशासनिक व्यवस्था को इस स्थिति में ला खड़ा किया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दमदार नेतृत्व में राज्य का सही दिशा में विकास हुआ है।
बाबूलाल पूरी तरह हताश और भ्रमित हैं। वे बिना किसी आधार के बातें करते हैं। वे संविधान और सुप्रीम कोर्ट का हवाला दे रहे हैं। उन्हें बताना चाहिए कि भाजपा ने अपने शासनकाल में ऐसा कितनी बार किया और कितने संवैधानिक पदों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया?
‘हेमंत सोरेन सरकार पर उंगली उठाने से पहले…’
विनोद पांडेय ने आगे कहा कि हेमंत सोरेन सरकार पर उंगली उठाने से पहले बाबूलाल मरांडी को ये समझ लेना चाहिए कि जनता सबकुछ देख रही है। झारखंड के लोग अब बाबूलाल मरांडी के दोहरे चरित्र और सस्ती राजनीति के झांसे में आने वाले नहीं हैं।
पिछले चुनावों में भाजपा को हराकर जनता सबक सिखा चुकी है। बेहतर यह होगा कि मरांडी राज्य सरकार को रचनात्मक सहयोग करें। रोज-रोज भ्रम फैलाने से उनकी स्थिति हास्यास्पद हो गई है।