भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति अब गंभीर होती दिख रही है. हाल ही में, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद 7 से 9 मई के बीच पाकिस्तान की ओर से भारत के कई शहरों पर मिसाइल और ड्रोन से हमले करने की कोशिश की गई. रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, जालंधर और कपूरथला समेत भारत के लगभग 20 शहरों को निशाना बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन भारत के अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम, S-400, जिसे ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया गया है, ने पाकिस्तान की इस नापाक कोशिश को पूरी तरह से विफल कर दिया.
S-400 को दिया गया ‘सुदर्शन चक्र’ नाम
भारतीय सेना ने अपने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया है. यह नाम पौराणिक कथाओं में वर्णित भगवान कृष्ण के शक्तिशाली दिव्य शस्त्र, सुदर्शन चक्र से प्रेरित है. S-400 दुनिया की सबसे उन्नत और लंबी दूरी तक मार करने वाली वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है.
सुदर्शन चक्र भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इसे तमिल में चक्रत्तालवार और थाईलैंड में चक्री वंश के नाम से जाना जाता है. जिस प्रकार सुदर्शन चक्र 360 डिग्री में काम करता है, उसी प्रकार S-400 भी 360 डिग्री में घूमकर भारत की रक्षा करने में सक्षम है. यही वजह है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम को ‘सुदर्शन चक्र’ का नाम दिया गया है.
कुछ धर्मग्रंथों के अनुसार, सुदर्शन चक्र का निर्माण भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की संयुक्त ऊर्जा से हुआ था. वहीं, कुछ ग्रंथों में यह भी उल्लेख है कि देवताओं के गुरु बृहस्पति देव ने भगवान विष्णु को यह चक्र प्रदान किया था. महाभारत के अनुसार, श्रीकृष्ण और अर्जुन ने अग्निदेव की सहायता से खांडव वन को नष्ट कर दिया था, जिसके बदले में अग्निदेव ने श्रीकृष्ण को एक चक्र और कौमोदकी गदा भेंट की थी.
कैसे काम करता था पौराणिक सुदर्शन चक्र
पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र को अपनी छोटी उंगली में धारण करते थे, जबकि भगवान विष्णु इसे अपनी तर्जनी (अंगूठे के पास वाली उंगली) में धारण करते थे. सुदर्शन चक्र जब अपने लक्ष्य की ओर निकलता था, तो वह शत्रु को नष्ट करके वापस श्रीकृष्ण के पास लौट आता था. इसका अर्थ है कि यह दिव्य शस्त्र प्रक्षेपण के बाद भी पूरी तरह से चलाने वाले योद्धा के नियंत्रण में रहता था. सुदर्शन चक्र पल भर में अपने लक्ष्य तक पहुंच जाता था और रास्ते में आने वाली बाधाओं को अपनी गति बढ़ाकर नष्ट कर देता था.
S-400: आधुनिक युग का सुदर्शन चक्र
S-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी इसी सिद्धांत पर काम करता है. यह दुश्मन के मिसाइलों, ड्रोन और लड़ाकू विमानों को लंबी दूरी से ही ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम है. इसकी 360 डिग्री घूमने की क्षमता इसे सभी दिशाओं से आने वाले खतरों से निपटने में सक्षम बनाती है. यह सिस्टम भारत की वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
कैसे अस्तित्व में आया सुदर्शन चक्र
सुदर्शन चक्र, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘शुभ दर्शन वाला चक्र’, की उत्पत्ति कई पौराणिक कथाओं से जुड़ी है. एक कथा के अनुसार, देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा ने इसका निर्माण किया था. उनकी पुत्री संजना का विवाह सूर्यदेव से हुआ था, लेकिन संजना सूर्यदेव के अत्यधिक तेज और गर्मी को सहन नहीं कर पा रही थीं. संजना की शिकायत पर विश्वकर्मा ने सूर्य की चमक को कम कर दिया. इस प्रक्रिया में सूर्य से निकली धूल से उन्होंने तीन दिव्य वस्तुएं बनाईं: पुष्पक विमान, भगवान शिव का त्रिशूल और भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र.
भगवान शिव ने दिया सुदर्शन चक्र
एक अन्य कथा के अनुसार, सुदर्शन चक्र भगवान शिव द्वारा भगवान विष्णु को प्रदान किया गया था. कहा जाता है कि एक बार भगवान विष्णु ने भगवान शिव को समाधि में लीन पाया. उनकी समाधि में बाधा न डालते हुए, विष्णुजी ने उनकी आराधना शुरू कर दी और प्रतिदिन एक हजार कमल पुष्प अर्पित किए. कई वर्षों बाद, जब भगवान शिव समाधि से बाहर आए, तो उन्होंने विष्णुजी को पूजा करते हुए देखा. भगवान शिव ने विष्णुजी के साथ एक लीला करने का विचार किया और पूजा स्थल से एक कमल पुष्प उठा लिया. जब विष्णुजी को एक फूल कम महसूस हुआ, तो उन्होंने तुरंत अपनी एक आंख निकालकर भगवान शिव को अर्पित कर दी, क्योंकि उन्हें ‘कमलनयन’ कहा जाता है. भगवान विष्णु की भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया, जिसका उपयोग भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का नाश करने में किया.