Friday, May 2, 2025

जम्मू कश्मीर के एक परिवार ने भारत से अपने निर्वासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की है.

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नई दिल्ली : बेंगलुरू में काम करने वाले एक कश्मीरी व्यक्ति ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों को जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान भेजे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

अहमद तारिक बट ने अधिवक्ता नंद किशोर के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि उन्हें और उनके परिवार के अन्य पांच सदस्यों को 25 अप्रैल को श्रीनगर स्थित विदेशी पंजीकरण कार्यालय से नोटिस मिला.

याचिका में कहा गया है, “उक्त व्यक्तिगत नोटिसों में एफआरओ ने अवैध और निराधार तरीके से दावा किया है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 और उसके परिवार के सदस्य वर्ष 1997 में भारत में प्रवेश कर चुके हैं और उन्हें इस आधार पर भारत छोड़ने की बाध्यता थी कि वे पाकिस्तानी नागरिक हैं.”

याचिकाकर्ता का परिवार श्रीनगर में रहता है. याचिकाकर्ता के वकील ने गुरुवार को जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई का उल्लेख किया. वकील के अनुसार, मामले की सुनवाई शुक्रवार को होने की संभावना है.

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के पिता, माता, बहन और उसके छोटे भाई को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 29 अप्रैल को रात करीब 9 बजे अवैध रूप से गिरफ्तार किया और उन्हें 30 अप्रैल 2025 को दोपहर करीब 12.20 बजे भारत-पाकिस्तान सीमा पर ले जाया गया और वर्तमान में उन्हें सीमा से भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

याचिकाकर्ता ने कहा कि वह एक भारतीय नागरिक है, जिसके पास वैध भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड है. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 के परिवार में उनके पिता तारिक मुश्कूर बट, उनकी मां नुसरत बट, उनकी बड़ी बहन आयशा तारिक, उनके छोटे भाई अबूबकर तारिक बट और एक अन्य छोटे भाई उमर तारिक बट शामिल हैं.

याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता का परिवार वर्ष 1997 तक मीरपुर का निवासी था और उसके पिता 1997 में श्रीनगर शहर में चले आए थे. इसके साथ ही याचिकाकर्ता संख्या 1 सहित परिवार के अन्य सदस्य वर्ष 2000 में मीरपुर से श्रीनगर शहर में चले गए. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 और उसका परिवार सभी भारतीय नागरिक हैं और उनके पास गृह मंत्रालय द्वारा जारी भारतीय पासपोर्ट हैं और वे भारतीय नागरिक हैं. याचिकाकर्ता नंबर 1 और उसके भाई-बहन सभी ने श्रीनगर के एक निजी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की है.

याचिकाकर्ता ने अपने परिवार के सदस्यों को विदेशी पंजीकरण कार्यालय, श्रीनगर की हिरासत से रिहा करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपने परिवार को जारी किए गए निर्वासन नोटिस को रद्द करने की भी मांग की. याचिकाकर्ता ने आईआईएम केरल से एमबीए किया है.

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