रांची के डोरंडा निवासी अफसर अली को 24 साल की कानूनी लड़ाई के बाद अपनी जमीन और मकान का कब्जा वापस मिल गया। किराएदार मोहम्मद अली ने फर्जी दस्तावेज बनवाकर संपत्ति पर दावा किया था। सिविल कोर्ट के आदेश पर मकान मालिक को उसका हक मिला। इस मामले में कोर्ट ने किराएदार को मकान खाली करने का आदेश दिया था।
डोरंडा कुसाई कॉलोनी निवासी अफसर अली को 24 वर्षों के बाद अपने मकान और जमीन पर दखल मिल गया। सिविल जज जूनियर डिवीजन नुमान खान आजम की अदालत के आदेश पर सिविल कोर्ट के नाजीर जीशान अली ने डोरंडा थाना और दंडाधिकारी के सहयोग से अफसर अली को रहमत कॉलोनी स्थित दो मंजिला मकान और जमीन पर दखल दिलाने की कानूनी कार्रवाई पूरी की।
इस संदर्भ में पूछे जाने पर पेशे से अधिवक्ता अफसर अली ने बताया कि उक्त जमीन को उसके पिताजी मंसूर अली ने वर्ष 1970 में खरीद कर घर बनाया था। वर्ष 2000 में पिताजी के निधन होने के बाद मोहम्मद अली वहां किराएदार के रूप में रहने आए।
मोहम्मद अली ने तैयार कराए फर्जी दस्तावेज
मोहम्मद अली ने उसी मकान में रहते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार कर लिया और मकान पर अपना दावा करना प्रारंभ कर दिया। मोहम्मद अली उक्त मकान पर अनामिका सहकारी गृह निर्माण समिति के नाम से कागजात तैयार कर लिया।
इसके बाद अफसर अली ने मकान और जमीन को हासिल करने के लिए तथा मोहम्मद अली को मकान से निकालने के लिए सिविल कोर्ट में मोहम्मद अली के खिलाफ दीवानी मुकदमा दर्ज कराया। मुकदमा वर्ष 2001 से लगातार 2025 तक चला।
2022 में दर्ज हुआ एग्जिक्यूशन मुकदमा
मुकदमे में डिक्री प्राप्त करने के बाद अफसर अली वर्ष 2022 में एग्जिक्यूशन मुकदमा दर्ज कराया। जिसमें कोर्ट से अनुरोध किया कि मोहम्मद अली तथा उसके उत्तराधिकारी पुत्री सैयदा परवीन उसके मकान में नाजायज तरीके से रह रही है, उसे घर से निकला जाए।
एग्जिक्यूशन मुकदमे में दोनों पक्षों का बहस सुनने के बाद कोर्ट ने दो दिन पूर्व सदा प्रवीण को रहमत कालोनी स्थित अफसर अली के मकान से निकालने का आदेश जारी किया। जिसका पालन सिविल कोर्ट के नाजिर द्वारा किया गया।