Wednesday, April 16, 2025

रांची में राम जानकी मंदिर निर्माण कार्य की लगभग तैयार हो गई है. 14 अप्रैल को आधारशिला रखी जाएगी.

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रांची: शहर के निवारणपुर स्थित तपोवन स्थित राम जानकी मंदिर सनातन धर्मावलंबियों के लिए भक्ति और आस्था का बड़ा केंद्र है. राम जानकी मंदिर के रूप में इसकी स्थापना लगभग 286 वर्ष पहले की गयी थी. अब पुराने मंदिर की जगह यहां नया और भव्य राम-जानकी मंदिर बनाने की सभी रूपरेखा तैयार कर ली गयी है.

14 अप्रैल 2025 को पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 02 बजे तक धार्मिक अनुष्ठानों के बीच राम जानकी के नए दरबार (मंदिर) निर्माण कार्य की आधारशिला रखी जाएगी. आधारशिला के लिए राजस्थान के मकराना से मार्बल की शिलाएं मंगायी गई है.

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अति प्राचीन राम-जानकी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित ओम प्रकाश शरण ने कहा कि अयोध्या के लाल साहब के महंत ने बताया है कि 14 अप्रैल की तिथि बेहद शुभ है. इसलिए 14 अप्रैल का ही समय मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा शिलान्यास के लिए रखा गया है. उन्होंने बताया कि शिलान्यास कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मुख्यमंत्री को निमंत्रित किया है. राज्यपाल और अन्य गणमान्य लोगों को भी निमंत्रण दिया जाएगा.

राम मंदिर के आर्किटेक्ट की देखरेख में बनेगा मंदिर

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मुख्य पुजारी ओम प्रकाश शरण ने बताया कि तपोवन मंदिर तप की भूमि है, जिसके गर्भ से सैकड़ों वर्ष पूर्व रामलला और माता सीता की प्रतिमा मिली थी जो आज भी इस मंदिर में विराजमान हैं. इस मंदिर में रामभक्त हनुमान जी की प्रतिमा रातू महाराज के किला से उनके पूर्वजों द्वारा लाकर स्थापित की हुई है. इसी तरह से अन्य देवी देवता भी इस मंदिर में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से ईश्वर (ठाकुर जी) की पूजा आराधना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

मुख्य पुजारी ओम प्रकाश शरण का कहना है कि नए भव्य बनने वाले मंदिर में 117 शिला और 13 शिखर होगी. 13 गर्भगृह में 09-09 शिलाएं लगेगी. उन्होंने बताया कि अयोध्या का भव्य रामलला मंदिर बनाने वाले आर्किटेक्ट सीवी सोनपुरा और आशीष सोनपुरा की देखरेख में राम-जानकी तपोवन मंदिर का निर्माण होगा. आशीष सोनपुरा के दादा प्रभा शंकर सोनपुरा की देखरेख में सोमनाथ मंदिर का निर्माण हुआ था.

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मुख्य पुजारी ने बताया कि राम-जानकी तपोवन मंदिर बनाने में और साज सज्जा मिलाकर करीब 100 करोड़ की लागत आएगी. 03 वर्ष के अंदर निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि शिलान्यास कार्यक्रम में यजमान बनने और दान के लिए अधिक से अधिक भक्तगण आगे आए.

ब्रिटिश हुकूमत में हुआ था प्राचीन मंदिर का निर्माण

जिस स्थान पर आज तपोवन राम जानकी मंदिर स्थापित है, आदिकाल में वहां कभी घना जंगल हुआ करता था. इस स्थल पर सर्वप्रथम बकटेश्वर जी महाराज अपने तप में लीन रहते थे. ऐसी मान्यता है कि ऋषि के तप और भजन के समय में जंगली जीव-जन्तु भी उनके भजन के समय उनके पास आते थे. इसके बाद जब इस इलाके में अंग्रेजों का आगमन हुआ.

इस दौरान एक दिन जब एक अंग्रेज अफसर शिकार करने के लिए निकले और उन्होंने एक बाघ को गोली मार दी, जिससे वहां तप कर रहे बाबा क्रोधित हो गए.इसके बाद अंग्रेज अधिकारी को शर्मिंदगी महसूस हुई और वह पश्चाताप की आग में जलने लगा. इसके बाद ऋषि ने उस अफसर को प्रायश्चित करने के लिए कहा और इस स्थान पर शिव मंदिर की स्थापना का सुझाव दिया. इसके बाद ही उस अंग्रेज अधिकारी के द्वारा शिव मंदिर की स्थापना की गयी, जो आज भी इस प्राचीन और ऐतिहासिक तपोवन परिसर में उनके द्वारा स्थापित शिव लिंग मौजूद है.

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प्राचीन तपोवन मंदिर तप और आस्था का स्थान है. खासकर राम नवमी को लेकर इस मंदिर की महत्ता और भी बढ़ जाती है. इस दिन तपोवन मंदिर में सुबह से राम जानकी और महाबली रामभक्त हनुमान की पूजा अर्चना के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं. दोपहर बाद महावीर झंडा लेकर शोभायात्रा के रूप में लोग पहुंचते हैं. जानकार बताते हैं कि 1929 में तपोवन मंदिर में पहली बार महावीर झंडा की पूजा की गयी थी. इसके बाद से हर साल राम नवमी के मौके पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है.

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