रांचीः झामुमो विधायक कल्पना सोरेन ने बजट सत्र के 19वें दिन प्रश्नकाल के दौरान मनरेगा मजदूरों का मामला उठाया. उन्होंने सरकार से पूछा कि मजदूरी और सामग्री मद में मजदूरों का कितना बकाया है. इस विलंब के लिए कौन जिम्मेवार है. इसपर ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने स्वीकार किया कि ना सिर्फ राशि बकाया है बल्कि वर्षों से मजदूरी मद की राशि विलंब से उपलब्ध कराई जाती है.
केंद्र सरकार पर 11 सौ करोड़ से ज्यादा बकाया
ग्रामीण विकास विभाग की मंत्री के मुताबिक मजदूरी मद में 533 करोड़ रु. बकाया है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में 33 करोड़ रु बकाया था. इसका भुगतान अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 के अप्रैल माह में किया गया. इसी तरह वर्ष 2023-24 में बकाया 218 करोड़ रु. का भुगतान वित्तीय वर्ष 2024-25 के अप्रैल माह में किया गया.
विभागीय मंत्री के मुताबिक मनरेगा की योजनाओं से जुड़ी सामग्री मद में 647 करोड़ रु का बकाया है. राज्य सरकार के मुताबिक भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय से मजदूरी और सामग्री मद की राशि के लिए अनुरोध किया गया है. उन्होंने कहा कि मजदूरी दर को राज्य सरकार के स्तर से बढ़ाने के लिए सीएम के स्तर पर चर्चा चल रही है.
मनरेगा मजदूरी दर बढ़ाने पर विचार करेगी सरकार
पूरक प्रश्न के तहत कल्पना सोरेन ने कहा कि हरियाणा, पंजाब, गोवा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों के मजदूरों को झारखंड की तुलना में 40 से 50 प्रतिशत ज्यादा मजदूरी मिलती है. केंद्र सरकार हरियाणा में 376 रु. देती है जबकि झारखंड में 235 रु देती है. ऐसी विसंगति क्यों है. उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे गरीब राज्य के मजदूरों को एक तो कम पैसे मिलते हैं, ऊपर से विलंब से मेहनताना देना बिल्कुल न्याय संगत नहीं है.
इसपर संसदीय कार्यमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने विधायक कल्पना सोरेन की तारीफ करते हुए कहा कि इस प्रश्न से वास्तविकता सामने आई है कि आखिर मजदूरों को क्यों पैसे नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि मजदूरी और सामग्री मद में केंद्र सरकार को 11 सौ करोड़ से ज्यादा रु. देने हैं, जो अक्टूबर 2024 से लंबित है. इससे साफ है कि केंद्र सरकार झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.