रांचीः होली की छुट्टी के बाद 18 मार्च से बजट सत्र की बाकी बची कार्यवाही शुरु होने जा रही है. लेकिन 12 मार्च से 17 मार्च तक अवकाश के दौरान हुई कुछ घटनाओं को लेकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा के रुख से पता चल रहा है कि सत्ता पक्ष के साथ तगड़ी खींचतान देखने को मिल सकती है.
इसकी बानगी 10 मार्च को दिख गई थी, जब भाजपा ने प्रश्नकाल के दौरान हजारीबाग में एनटीपीसी के डीजीएम कुमार गौरव की हत्या का मामला जोरशोर से उठाया था. इस वजह से चलते बजट सत्र के दौरान पहली बार प्रश्नकाल की कार्यवाही स्थगित हुई थी. मामला इस कदर गरमाया था कि सूबे के डीजीपी को भाजपा विधायक सीपी सिंह ने इस बात पर बेशर्म कह दिया था कि उन्होंने स्वीकार किया था कि जेल से बैठकर अपराधी गैंग चला रहे हैं.
खास बात है कि विधि व्यवस्था के प्रति विपक्ष की नाराजगी का असर 11 मार्च की सुबह दिख गयी थी, जब कुख्यात गैंगस्टर अमन साव पलामू में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. फिलहाल भाजपा के पास दो बड़े मुद्दे हैं. एक है होली के दिन गिरिडीह के घोड़थंबा में हुई हिंसा. होली जुलूस को लेकर पथराव, आगजनी और उपद्रव की वजह से चार पुलिस कर्मी जख्मी हुए थे. कई दुकानों और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया था. इस मामले को 14 मार्च से ही भाजपा मुखरता के साथ उठा रही है. भाजपा आरोप लगा रही है कि सरकार के इशारे पर उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाए तुष्टिकरण किया जा रहा है.
दूसरा मामला मंईयां सम्मान योजना की लाभुकों को लेकर है. भाजपा के रुख से साफ है कि यह मामला भी बजट सत्र के दौरान जोरशोर से उठेगा. क्योंकि होली के ठीक पहले 37,55,233 लाभुकों के खाते में जनवरी, फरवरी और मार्च माह की किस्त के 7,500 रु. प्रति लाभुक ट्रांसफर किए गये थे. भाजपा सवाल उठा रही है कि दिसंबर में 56 लाख लाभुकों को राशि दी गई थी. लिहाजा, शेष 18 लाख लाभुकों को किस्त की राशि क्यों नहीं दी गई. दूसरी ओर दोनों मामलों पर सत्ता पक्ष के रुख से साफ है कि विपक्ष को भी तीखे जवाबी प्रहार झेलने पड़ सकते हैं.