वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ दिशा में भोजन करना आपके जीवन में समस्याएं और संकट ला सकता है…
वास्तुशास्त्री और ज्योतिषाचार्य आदित्य झा के अनुसार, जिस तरह शरीर के लिए भोजन जरूरी है, उसी तरह सही दिशा में बैठकर भोजन करना भी आवश्यक है. हर दिशा में एक विशिष्ट प्रकार की ऊर्जा होती है, और सही दिशा में बैठकर भोजन करने से यह ऊर्जा हमारे लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है. आइए जानते हैं कि किस दिशा में भोजन करना आपके लिए शुभ हो सकता है.
पूर्व दिशा: बुद्धि और स्वास्थ्य का संगम
पूर्व दिशा को ऊर्जा का स्रोत माना जाता है. पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से मस्तिष्क तेज होता है और पाचन तंत्र मजबूत रहता है. यह दिशा मानसिक तनाव को कम करने और दिमाग को शक्ति प्रदान करने में सहायक होती है. बुजुर्गों और रोगियों के लिए यह दिशा विशेष रूप से फायदेमंद मानी जाती है. अगर आप अक्सर पेट की समस्याओं से परेशान रहते हैं, तो पूर्व दिशा में बैठकर भोजन करना आपके लिए लाभकारी हो सकता है.
पश्चिम दिशा: खुलेंगे तरक्की के द्वार
पश्चिम दिशा को लाभ की दिशा माना गया है. इस दिशा में बैठकर भोजन करने से उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह दिशा व्यापार, नौकरी, लेखन, अनुसंधान और विद्यार्थियों के लिए शुभ फलदायी मानी जाती है. इस दिशा में भोजन करने से व्यवसाय में लाभ होता है और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है.
उत्तर दिशा: ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक
उत्तर दिशा को धन और ज्ञान की दिशा माना जाता है. इस दिशा में बैठकर भोजन करने से बुद्धि तेज होती है और सफलता मिलती है. विशेष रूप से युवाओं और छात्रों को अपने करियर में सफलता पाने के लिए उत्तर दिशा में बैठकर भोजन करने की सलाह दी जाती है.
दक्षिण दिशा: भूलकर भी न करें इस दिशा में भोजन
दक्षिण दिशा को सबसे अशुभ माना जाता है. यह दिशा यमराज (मृत्यु के देवता) की दिशा मानी जाती है, इसलिए इस दिशा में बैठकर भोजन करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है. इससे घर में दरिद्रता आती है और परिवार में कलह बढ़ने की संभावना रहती है. इसके साथ ही, परिवार के सदस्यों की प्रगति में भी बाधाएं आती हैं. खासतौर पर जिनके माता-पिता जीवित हैं, उन्हें दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से बचना चाहिए.