गुजरात की शीतल जसवंतभाई राठवा के सामने गरीबी ने टेके घुटने. वित्तीय और सामाजिक बाधाओं को किया पार.
गुजरात जहां चाह वहां राह, ये पक्तियां आदिवासी युवती शीतल जसवंतभाई राठवा पर बिलकुल सटीक बैठती है. शीतल जसवंतभाई राठवा ने दक्षिण अफ्रीका में पायलट बनने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया और आखिरकार अपनी मंजिल हासिल की. वह एक प्रशिक्षण प्राप्त पायलट बन गई है. शीतल जसवंतभाई राठवा गुजरात के छोटा उदयपुर जिले के सुदूर गांव केलदारा की निवासी हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जुड़ी है शीतल की कहानी
शीतल जसवंतभाई की कहानी बड़ी रोचक है. उन्होंने पायलट बनने का सपना तब देखा था, जब वो मध्य प्रदेश के अलीराजपुर में जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ रही थीं. इसी दौरान एक दिन मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक कार्यक्रम को लेकर चकतला गांव हेलीकॉप्टर के जरिए पहुंचे. इस दृश्य को शीतल जसवंतभाई अपने दोस्तों के साथ देख रही थीं, तभी शीतल जसवंतभाई राठवा ने अपने दोस्तों से कहा कि एक दिन मैं भी हेलीकॉप्टर उड़ाऊंगी, लेकिन दोस्तों ने शीतल की इस बात का उपहास उड़ाया. जिससे शीतल ने उसी पल आसमान छूने की ठान ली.
मां ने गिरवी रखे थे अपने आभूषण
शीतल जसवंतभाई राठवा ने जवाहर नवोदय विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में पुणे में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने चली गईं. इसी बीच उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में पायलट कोर्स के लिए आवेदन किया. उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया. कोर्स की लागत 50 लाख रुपये थी, जो कि उनके परिवार के लिए वहन करने योग्य राशि नहीं थी. शीतल जसवंतभाई के पिता एक निजी पशु चिकित्सक हैं, जबकि मां गृहिणी हैं. शीतल जसवंतभाई के माता-पिता ने बेटी के सपने को पूरा करने के लिए सरकार और उनके रिश्तेदारों की सहायता से 25 लाख रुपये का ऋण लिया. मां ने अपने आभूषण और पिता ने अपनी कृषि भूमि तक गिरवी रख दी थी.
शीतल जसवंतभाई ने सभी का जताया आभार
शीतल जसवंतभाई राठवा ने कहा, “मैं अपने माता-पिता की आभारी हूं, जिन्होंने इस सपने को साकार करने के लिए अथक परिश्रम किया. मैं अपने रिश्तेदारों की भी आभारी हूं, जिन्होंने मेरे सपने को पूरा करने में मेरी मदद की.”
शीतल 12 घंटे करती हैं हवाई जहाज:
दिन में 12 घंटे अभ्यास करके हवाई जहाज उड़ाना सीखने वाली शीतल ने खुद को पूरी तरह से इस कोर्स के लिए समर्पित कर दिया है. प्रशिक्षण पूरा होने में अब केवल छह महीने बचे हैं. शीतल लाइसेंस प्राप्त पायलट बनने के लिए दृढ़ संकल्पित है और वह पहले से ही अपने परिवार और गांव को गौरवान्वित कर रही है.