रांचीः 3 मार्च को झारखंड विधानसभा में पेश वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट पर वाद-विवाद के दौरान भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर जमकर हमले किए. उन्होंने कहा कि बजट देखने में लंबा-चौड़ा जरुर है लेकिन है कुछ नहीं, इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार का ध्यान नहीं है. शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति खराब है. चिकित्सकों और शिक्षकों के पद रिक्त हैं.
भाजपा विधायक बाबूलाल मरांडी ने वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के बजट भाषण का जिक्र करते हुए इस बात पर गहरी आपत्ति जतायी कि झारखंड को केंद्र की मोदी सरकार से सहयोग नहीं मिल रहा है. डाटा पेश करते हुए उन्होंने वित्त मंत्री से कहा कि आप गलत बातें कहकर जनता को दिग्भ्रमित नहीं कर सकते.
मोदी सरकार ने झारखंड को हमेशा किया है सपोर्ट
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वित्त मंत्री का यह कहना कि केंद्र की मोदी सरकार से कोई आर्थिक सपोर्ट नहीं मिल रहा है, यह कहना बेबुनियाद है. उन्होंने इसको प्रमाणित करते के लिए आंकड़े पेश किए और कहा कि संभव है कि अधिकारियों ने वित्त मंत्री को इससे अवगत नहीं कराया होगा. क्योंकि 2021-22 में राज्य के डिमांड की तुलना में केंद्र ने 125.78 प्रतिशत पैसे दिए. इसी तरह 2022-23 में 116.28 प्रतिशत राशि केंद्र से मिली. 2023-24 में 110.58 प्रतिशत राशि केंद्र ने दी. तीनों वर्षों में डिमांड से ज्यादा राशि केंद्र सरकार ने दी है.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि साल 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार के दौरान 56 हजार 90 करोड़ रु. राज्य को प्राप्त हुए थे. वहीं 2014-2024 के बीच नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार ने 2 लाख 26 हजार 444 करोड़ रु. यानी चार गुणा से ज्यादा राशि दिये. अनुदान मद में पहले 28509 करोड़ मिला था जो मोदी जी के कार्यकाल में 1 लाख 4 हजार 373 करोड़ रु. झारखंड को मिला. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कोरोना काल से 2.64 करोड़ लोगों को हर माह मुफ्त में पांच किलो अनाज मोदी सरकार दे रही है.
गैंग्स ऑफ वासेपुर से प्रभावित है सरकार
झारखंड के वार्षिक बजट पर वाद-विवाद के दौरान बाबूलाल मरांडी ने वित्त मंत्री पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में पीषूय मिश्रा की कविता पढ़ी. उन्होंने गांधी और अंबेडकर जैसे महापुरुषों का कहीं नाम नहीं लिया. जब पीयूष मिश्रा के बारे में पता किया तो पता चला कि धनबाद में कोयला के काले कारोबार पर बनी गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म से जुड़े हैं. इससे लगता है कि सरकार उससे काफी प्रभावित है.
कोल कंपनियों पर बकाए के नाम पर बंद हो राजनीति
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बार-बार 1.36 लाख करोड़ की बात की जाती है. हम सहयोग करेंगे. लेकिन यह नहीं बताते कि कब-कब का पैसा है. किस मद का है. अलग अलग कंपनियों पर बकाया है. सूत्र पकड़कर पैसा लेना होगा. ऐसे ही राजनीति करना है तो मुझे कुछ नहीं कहना है.
शिक्षा और स्वास्थ्य का हाल बेहाल
पूंजीगत व्यय को कम रखा है. गैर योजना मद में बहुत अधिक खर्च कर रही है सरकार. नौकरी देगी तो खर्च और बढ़ेगा. आर्थिक प्रबंधन की दृष्टि से यह अच्छा नहीं है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ज्यादातर विभागों की राशि खर्च नहीं हो पाई है. शुद्ध पेयजल पर सिर्फ 18.6 प्रतिशत खर्च हुआ है. फिर बिना उपयोगिता प्रमाण पत्र के केंद्र से कैसे पैसे मिलेंगे. निजी अस्पतालों पर आयुष्मान का कंडिशन लगा दिया. ज्यादातर अस्पताल इसके दायरे से बाहर हो गये. इससे मरीज परेशान हैं.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह गरीबी उन्मूलन का बजट बिल्कुल नहीं है. झारखंड में 41 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं. इस सेक्शन को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए सरकार को पहल करना चाहिए. हम सहयोग देने को तैयार है. लेकिन आपकी अच्छी नीयत होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री को बताना चाहिए कि वे बजट के पैसे की जुगाड़ कहां से करेंगे.